संसद में कुत्ता लाने पर विवाद: रेणुका चौधरी ने ‘भौं-भौं’ कर दिया जवाब

New Delhi : संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही एक अनोखे विवाद ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस की वरिष्ठ सांसद रेणुका चौधरी के अपने पालतू कुत्ते को संसद परिसर में लाने को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब बढ़ता ही जा रहा है। बुधवार को जब पत्रकारों ने उनसे इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने सिर्फ ‘भौं-भौं’ कहा और आगे बढ़ गई।

इस घटना ने सत्ता पक्ष को और हमलावर होने का मौका दे दिया है। बीजेपी ने इसे संसद की गरिमा का अपमान बताते हुए चौधरी से माफी की मांग की है। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि उनके खिलाफ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया जा सकता है।

कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद?

यह मामला 1 दिसंबर को शीतकालीन सत्र के पहले दिन का है, जब रेणुका चौधरी अपनी कार में पालतू कुत्ते के साथ संसद भवन पहुंचीं। चूंकि संसद परिसर में बिना अनुमति जानवरों को लाना नियमों के खिलाफ है, इसलिए सत्ता पक्ष ने तुरंत इस पर कड़ी आपत्ति जताई।

मामला तब और गरमा गया जब चौधरी ने एक विवादास्पद टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह कुत्ता काटने वाला नहीं है। “काटने वाले तो और है पार्लियामेंट के अंदर। यह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है।” — रेणुका चौधरी

उनके इस बयान को बीजेपी ने सीधे तौर पर सांसदों का अपमान माना और इसे एक बड़ा मुद्दा बना लिया।

बीजेपी ने बताया ‘संसद का अपमान’

बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को चौतरफा घेर लिया है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस सदन में चर्चा से बचने के लिए ऐसे ड्रामे कर रही है। उन्होंने इसे ‘अंबेडकर जी के संविधान का अपमान’ करार दिया।

बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इसे ‘तमाशा’ बताते हुए कहा कि रेणुका चौधरी ने सभी सांसदों, स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों को ‘कुत्ता’ ठहरा दिया है। सांसद जगदंबिका पाल ने राज्यसभा के सभापति से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है।

कांग्रेस का पलटवार और सोशल मीडिया पर बहस

विवाद बढ़ने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “कुत्ता आज का मुख्य विषय है। बेचारे कुत्ते ने क्या बिगाड़ा है?” राहुल के इस बयान पर भी बीजेपी ने पलटवार किया।

यह मामला अब सोशल मीडिया पर भी छाया हुआ है, जहां मीम्स की बाढ़ आ गई है। एक तरफ जहां विपक्ष इसे दया और पशु प्रेम का मामला बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन और संसद का अपमान मान रहा है। इस ‘कुत्ता कांड’ ने फिलहाल शीतकालीन सत्र के गंभीर मुद्दों को पीछे छोड़ दिया है।