Islamabad News : पाकिस्तान की संसद में एक हिंदू सांसद के भाषण ने देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
सीनेटर दिनेश कुमार ने धर्मांतरण के मुद्दे पर ऐसा भाषण दिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। अपने संबोधन में उन्होंने संवैधानिक अधिकारों और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को उजागर किया।
दिनेश कुमार ने संसद में सवाल उठाया कि क्या पाकिस्तान का संविधान अल्पसंख्यकों को वही धार्मिक स्वतंत्रता देता है, जो बहुसंख्यक समुदाय को मिलती है। उनके इस भाषण की क्लिप को लाखों लोग देख चुके हैं और इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
संवैधानिक अधिकार पर तीखा सवाल
सीनेटर दिनेश कुमार ने अपने भाषण में पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 20 का हवाला दिया। यह अनुच्छेद हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है। उन्होंने इसी अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह केवल कागजों तक ही सीमित क्यों है?
“हमारे मुस्लिम भाई अक्सर हमें इस्लाम कबूल करने का न्योता देते हैं। वे हमें जहन्नुम की आग और गुनाहों से डराते हैं और हमारी पूजा-पद्धति की आलोचना करते हैं। संविधान सबको अपने धर्म के प्रचार की इजाजत देता है, तो क्या कोई हिंदू या ईसाई अपने धर्म का प्रचार इस तरह कर सकता है?” — दिनेश कुमार, पाकिस्तानी सांसद