इलाज से लेकर दिव्यांग कार्ड तक, प्रशासन देगा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बच्चों को पूरा सहयोग

रॉबर्ट नर्सिंग होम एंड रिसर्च सेंटर, इंदौर में शनिवार को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी विषय पर विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम में कलेक्टर शिवम वर्मा शामिल हुए और उन्होंने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जूझ रहे बच्चों व उनके परिवारों से चर्चा की। वर्मा ने आश्वस्त किया कि जिला प्रशासन इलाज, फिजियोथेरेपी, आवश्यक दवाइयों और सुविधाओं के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि अस्पताल परिसर में रैम्प बनाया जाएगा ताकि दिव्यांग बच्चों को आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी न हो। साथ ही सामाजिक न्याय विभाग की ओर से इन बच्चों के दिव्यांग कार्ड भी बनाए जाएंगे।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बच्चों को हिम्मत बंधाते कलेक्टर वर्मा

कलेक्टर वर्मा ने बच्चों से संवाद के दौरान कहा कि निराश होने की बजाय साहस के साथ जीवन जीना चाहिए। उन्होंने बच्चों को पढ़ाई जारी रखने, नियमित फिजियोथेरेपी कराने और विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह का पालन करने की प्रेरणा दी। वर्मा ने कार्यशाला के बाद मस्कुलर डिस्ट्रॉफी केयर सेंटर का निरीक्षण किया और वहां इलाज ले रहे बच्चों से खुलकर बातचीत की।

कार्यशाला में उपचार सुविधा और सेंटर की कार्यप्रणाली पर चर्चा

कार्यक्रम का आयोजन सोसायटी फॉर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी द्वारा किया गया था। रॉबर्ट नर्सिंग होम के सचिव डॉ. विजय सेन यशलाह ने अस्पताल में चल रही सेवाओं और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी केयर सेंटर की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
इंडियन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एसोसिएशन, सोलन (हिमाचल प्रदेश) की अध्यक्ष संजना गोयल ने बताया कि यह एक गंभीर आनुवांशिक रोग है जिसमें मांसपेशियाँ धीरे-धीरे कमजोर होती जाती हैं। उन्होंने बताया कि भारत में हर वर्ष करीब 4 हजार बच्चे इस बीमारी के साथ जन्म लेते हैं, और इसके कई प्रकार हैं जिनके लक्षण बचपन से लेकर वयस्कता तक किसी भी उम्र में दिखाई दे सकते हैं।

मध्यप्रदेश में 150 से अधिक बच्चे प्रभावित, 42 केवल इंदौर में

संस्था के प्रबंधक सुनील न्याती ने बताया कि मध्यप्रदेश में लगभग 150 बच्चे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से प्रभावित हैं, जिनमें से 42 अकेले इंदौर जिले से हैं। कार्यशाला में इंदौर के अलावा खरगोन, मक्सी, उज्जैन, ग्वालियर सहित अन्य स्थानों से 50 से अधिक बच्चे अपने माता-पिता के साथ पहुंचे। सभी ने अपनी जांच कराई तथा फिजियोथेरेपी उपचार भी लिया।


अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी केयर सेंटर की शुरुआत इसी वर्ष हुई है और यहाँ प्रतिदिन 25 से अधिक बच्चे फिजियोथेरेपी के लिए आते हैं। कार्यशाला में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रचना दुबे, डॉ. गिरीराज चेंडक, फिजियोथेरेपिस्ट कोमल ठाकरे, विठ्ठल शर्मा, तथा डायटिशियन डॉ. विजेता जैन ने अपनी सेवाएँ दीं।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा नि:शुल्क दवाइयों की घोषणा

कार्यशाला में स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हेमंत गुप्ता ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से आवश्यक दवाइयाँ निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएँगी। इस मौके पर मन जैन, शैलेन्द्र सोलंकी, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से प्रभावित बच्चे और उनके परिजन मौजूद रहे।