इंदौर रियल एस्टेट की रफ्तार थमी, कॉलोनी अनुमति और रजिस्ट्री आय दोनों में बड़ी गिरावट

इंदौर का रियल एस्टेट सेक्टर पिछले एक साल से जिस सुस्ती से जूझ रहा है, अब वह चिंता का कारण बन गया है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलोनी विकास की मंजूरी के लिए आने वाले आवेदन सिर्फ एक-तिहाई रह गए हैं। वहीं, सरकार के लिए रजिस्ट्री से होने वाली आय भी उम्मीदों के अनुरूप नहीं बढ़ पा रही है।

इस गिरावट के पीछे मास्टर प्लान की लंबी देरी और जमीन अधिग्रहण से जुड़े कई प्रोजेक्ट सबसे बड़ी वजह बनकर सामने आए हैं, जिनके चलते विकास की दिशा पूरी तरह बिखर गई है।

कॉलोनी विकास अनुमतियों में भारी कमी

पिछले वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 के बीच इंदौर कलेक्टोरेट में कुल 305 कॉलोनी विकास आवेदन आए थे, जिनमें से 227 को मंजूरी मिली थी। लेकिन इस वर्ष 1 अप्रैल 2025 से 30 नवंबर 2025 तक स्थिति बिल्कुल बदल गई—
सिर्फ 101 आवेदन ही दर्ज हुए हैं।

यह स्पष्ट संकेत है कि नए प्रोजेक्ट शुरू करने का उत्साह बाजार से लगभग गायब हो चुका है।

रजिस्ट्री आय टारगेट से काफी पीछे

पंजीयन विभाग के आंकड़े भी इसी सुस्ती की ओर इशारा कर रहे हैं।

  • अप्रैल–नवंबर 2024: 1506 करोड़ रुपये
  • अप्रैल–नवंबर 2025: 1533 करोड़ रुपये

प्रॉपर्टी गाइडलाइन में औसतन 10% बढ़ोतरी के बावजूद आय में सिर्फ 1.82% की मामूली बढ़ोतरी हुई।

सरकार ने इस वर्ष इंदौर के लिए 3497 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है।
8 महीनों में आय को 2000 करोड़ पार होना चाहिए था, लेकिन यह अभी भी 1533 करोड़ रुपये पर ही रुकी है।

यह साफ करता है कि बाजार में न ग्राहक हैं, न निवेशक।

प्रदेश स्तर पर भी स्थिति कमजोर

मध्य प्रदेश के रजिस्ट्री विभाग का प्रदर्शन भी उम्मीदों के अनुरूप नहीं है।

  • आय लक्ष्य: 13,920 करोड़ रुपये
  • 8 महीने में वास्तविक आय: 7580 करोड़ रुपये

यानी पूरे राज्य में रियल एस्टेट सेक्टर दबाव में है।

मास्टर प्लान की अनिश्चितता बनी मुख्य वजह

इंदौर रियल एस्टेट की सुस्ती का सबसे बड़ा कारण नए मास्टर प्लान का लगातार लटकना है।

  • पुराने मास्टर प्लान की अवधि 2021 में समाप्त हो गई थी।
  • तब से नया प्लान जारी होने का इंतजार जारी है।
  • सरकार की ओर से कई बार घोषणा हुई कि यह जल्द आएगा, लेकिन साल खत्म होने को आया और अब तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं।
  • इस देरी का असर सबसे ज्यादा उन 79 गांवों पर पड़ा है, जो इंदौर से लगे हुए हैं और जहां कामकाज व सौदे लगभग बंद हो चुके हैं।
    धारा 16 के तहत कॉलोनी अनुमतियाँ भी 10 महीने से रुकी हुई हैं।

ग्रीन कॉरिडोर और अहिल्यापथ प्रोजेक्ट ने बढ़ाई उलझन

इंदौर–उज्जैन ग्रीन कॉरिडोर, अहिल्यापथ और अन्य अधिग्रहण-संबंधी प्रोजेक्ट कुल 17 गांवों में भारी असमंजस पैदा कर रहे हैं नियमों की स्पष्टता न होने के कारण डेवलपर्स नई परियोजनाओं में निवेश करने से बच रहे हैं। कई बड़े रियल एस्टेट खिलाड़ी भी मार्केट में पूरी तरह शांत बैठे हैं।

जहाँ इंदौर के आसपास कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू हो सकते थे, वे सभी नियमों और मास्टर प्लान की देरी में अटक गए हैं। सरकार की ओर से मास्टर प्लान, अहिल्यापथ और अन्य लंबित फैसलों पर कोई तेज कदम न उठाए जाने की वजह से रियल एस्टेट निवेशकों का विश्वास लगातार कमजोर हो रहा है।