इंदौर के रणजीत हनुमान मंदिर में 6 करोड़ में बनेगा ‘रणजीत लोक’ : 2028 सिंहस्थ से पहले तैयार होगा प्रोजेक्ट

Indore News : मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के प्रसिद्ध रणजीत हनुमान मंदिर का स्वरूप अब पूरी तरह बदलने जा रहा है। उज्जैन में बने भव्य ‘महाकाल लोक’ की तर्ज पर अब इंदौर में ‘रणजीत लोक’ विकसित किया जाएगा। करीब 150 साल पुराने इस ऐतिहासिक मंदिर के कायाकल्प के लिए विकास कार्य शुरू हो चुके हैं।
प्रशासन ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को 2028 में उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ कुंभ से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा है। निर्माण कार्य की शुरुआत मंदिर की बाउंड्रीवॉल बनाने से हो गई है, और यह पूरा प्रोजेक्ट अलग-अलग चरणों में पूरा किया जाएगा।
6 करोड़ से अधिक का बजट, स्मार्ट सिटी को जिम्मा
रणजीत लोक के निर्माण पर 6 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा, मंदिर में लगाए जाने वाले विशेष पत्थरों पर भी लगभग इतनी ही राशि अलग से खर्च होगी।
मंदिर प्रशासक एनएस राजपूत ने जानकारी दी कि इस निर्माण कार्य की जिम्मेदारी इंदौर स्मार्ट सिटी को बतौर नोडल एजेंसी सौंपी गई है। प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक धन का प्रबंध मंदिर के अपने फंड और दान की राशि से किया जाएगा।
हाईटेक सुविधाएं और भव्य स्वरूप
नए स्वरूप में मंदिर का विस्तार 40 फीट आगे तक किया जाएगा। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए कई आधुनिक इंतजाम किए जाएंगे:
  • परिसर के भीतर ही एक पुलिस चौकी का निर्माण होगा।
  • भक्तों के लिए नया जूता स्टैंड और पेयजल की व्यवस्था होगी।
  • महिलाओं के लिए बेबी फीडिंग रूम और बुजुर्गों के लिए विशेष सुविधाएं जुटाई जाएंगी।
  • नया भव्य मुख्य द्वार और शेड तैयार किए जाएंगे।
मंदिर की सुंदरता बढ़ाने के लिए रणजीत लोक की छत पर खास कशीदाकारी की जाएगी और बाउंड्रीवॉल पर रंग-बिरंगी लाइटिंग लगाई जाएगी। दीवारों पर सुंदरकांड के प्रसंगों का चित्रण भी उकेरा जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होगा।
स्वर्ण रथ में निकलती है प्रभात फेरी
मंदिर में पौष माह के दौरान विशेष उत्सव का माहौल रहता है। इस वर्ष भी चार दिवसीय आयोजन 9 दिसंबर से शुरू हो चुका है। 12 दिसंबर को सुबह 5 बजे भगवान रणजीत हनुमान की प्रसिद्ध प्रभात फेरी स्वर्ण रथ में निकाली जाएगी। इस दौरान सवा लाख रक्षा सूत्रों का वितरण भी किया जाएगा।
बुधवार को महोत्सव के दूसरे दिन मंदिर परिसर को 51 हजार दीयों से रोशन कर दीपोत्सव मनाया जाएगा और भजन संध्या का आयोजन होगा।
इतिहास: टीन के शेड से भव्य मंदिर तक
रणजीत हनुमान मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। मंदिर के वर्तमान पुजारी पं. दीपेश व्यास के अनुसार, उनके परदादा पं. भोलाराम व्यास इस मंदिर के संस्थापक पुजारी थे। वर्तमान में उनकी पांचवीं पीढ़ी यहां सेवा दे रही है।
शुरुआत में भगवान रणजीत टीन के शेड में विराजमान थे। साल 1960 में गर्डर और फर्श लगाकर पक्का निर्माण किया गया, और 1992 में मंदिर की आरसीसी छत डाली गई। अब यह मंदिर एक भव्य लोक का रूप लेने जा रहा है।
“लंका विजय के बाद जब हनुमान जी लौटे, तो भगवान राम ने उन्हें ‘रणजीत’ नाम दिया था। इसी विजय के प्रतीक स्वरूप वानरों ने उन्हें कंधे पर उठाया था, जिसकी याद में आज भी प्रभात फेरी निकाली जाती है।” — पं. दीपेश व्यास, मंदिर पुजारी