उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल को अर्पित की जाने वाली पूजन सामग्री को लेकर मंदिर प्रशासन ने एक अहम फैसला लिया है। अब शिवलिंग पर भारी-भरकम फूल मालाएं, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘अजगर माला’ या ‘मुण्डमाल’ कहा जाता है, नहीं चढ़ाई जा सकेंगी। मंदिर समिति ने शिवलिंग के क्षरण को रोकने और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह प्रतिबंध लगाया है।
प्रशासन की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, यह नया नियम आगामी 1 जनवरी से पूरी तरह लागू हो जाएगा। इसके तहत 10 से 15 किलो तक वजनी मालाओं को गर्भगृह में ले जाने की अनुमति नहीं होगी। मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने स्पष्ट किया है कि एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) और जीएसआई (भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण) की गाइडलाइन का पालन करते हुए यह कदम उठाया गया है।
गेट पर ही होगी जांच, दुकानदारों को निर्देश
नियम को सख्ती से लागू करने के लिए मंदिर प्रशासन ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। मंदिर परिसर में लगातार उद्घोषणा (अनाउंसमेंट) की जा रही है कि भक्त भगवान के लिए भारी मालाएं न खरीदें। साथ ही, मंदिर के आसपास फूल-प्रसाद की दुकान चलाने वाले व्यवसायियों को भी सख्त हिदायत दी गई है। उन्हें स्पष्ट कहा गया है कि वे ऐसी भारी और बड़ी मालाएं न तो बनाएं और न ही बेचें।
1 जनवरी से लागू होने वाली व्यवस्था के तहत मंदिर के प्रवेश द्वारों पर तैनात सुरक्षाकर्मी भक्तों द्वारा लाई जा रही पूजन सामग्री की जांच करेंगे। यदि कोई भक्त बड़ी या निर्धारित वजन से अधिक भारी माला लेकर आता है, तो उसे गेट पर ही अलग रखवा दिया जाएगा और अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
500 से 2100 रुपये में बिकती थीं ये मालाएं
पिछले कुछ वर्षों से महाकाल मंदिर के बाहर इन विशेष मालाओं का चलन काफी बढ़ गया था। फूलों की ये मालाएं काफी मोटी और बड़ी होती थीं, जिनका वजन अक्सर 10 किलो से ज्यादा होता था। बाजार में इनकी कीमत 500 रुपये से लेकर 2100 रुपये तक होती थी।
भक्त श्रद्धावश इन महंगी मालाओं को खरीदकर पुजारियों को सौंप देते थे, और पुजारी उन्हें भगवान महाकाल को पहना देते थे। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन भारी मालाओं के भार और नमी से शिवलिंग की सतह को नुकसान पहुंच सकता है।
सुप्रीम कोर्ट और विशेषज्ञों की राय
ज्योतिर्लिंग महाकाल के क्षरण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। कोर्ट ने क्षरण की जांच और रोकथाम के उपाय सुझाने के लिए एएसआई और जीएसआई के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की थी। इस टीम ने शिवलिंग को सुरक्षित रखने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे।
विशेषज्ञों की रिपोर्ट में भगवान महाकाल को केवल छोटी मालाएं और सीमित मात्रा में ही फूल अर्पित करने की सलाह दी गई थी। इसी सुझाव पर अमल करते हुए मंदिर समिति ने अब भारी मालाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। प्रशासन का उद्देश्य धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ ज्योतिर्लिंग की प्राचीनता और स्वरूप को संरक्षित रखना है।