नीतीश कुमार की ‘हिजाब’ वाली हरकत पर भड़कीं ‘दंगल’ गर्ल जायरा वसीम, बोली – ‘माफी मांगें’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर अपने व्यवहार को लेकर विवादों के घेरे में हैं। पटना में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान एक महिला डॉक्टर का हिजाब (नकाब) खींचने की उनकी हरकत ने सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल मचा दी है।

इस घटना पर पूर्व अभिनेत्री जायरा वसीम ने कड़ा ऐतराज जताते हुए मुख्यमंत्री से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की है।

क्या है पूरा मामला?

यह घटना पटना के ‘संवाद’ भवन में आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम की है। यहाँ स्वास्थ्य विभाग द्वारा नवनियुक्त 1,000 से अधिक आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र (Appointment Letters) वितरित किए जा रहे थे। जब डॉ. नुसरत परवीन अपना नियुक्ति पत्र लेने मंच पर पहुंचीं, तो उन्होंने हिजाब से अपना चेहरा ढका हुआ था।

प्रत्यक्षदर्शियों और वायरल वीडियो के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह देखकर असहज हो गए। उन्होंने झुककर महिला डॉक्टर का नकाब नीचे की तरफ खींच दिया और सवालिया लहजे में पूछा, “यह क्या है?” इस अचानक हुई हरकत से युवा डॉक्टर पूरी तरह घबरा गईं।

मंच पर मौजूद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने स्थिति को संभालने के लिए मुख्यमंत्री को रोकने की कोशिश भी की, लेकिन तब तक यह वाकया कैमरों में कैद हो चुका था।

जायरा वसीम का तीखा हमला

‘दंगल’ फेम जायरा वसीम ने इस घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। फेसबुक पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने लिखा:

“किसी महिला की मर्यादा और गरिमा (Dignity) कोई खिलौना नहीं है। एक मुस्लिम महिला होने के नाते, किसी दूसरी महिला का नकाब इतनी लापरवाही से खींचा जाना और उसके बाद मुख्यमंत्री की बेपरवाह मुस्कान देखना बेहद परेशान करने वाला है। सत्ता आपको सीमाओं का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं देती।”

जायरा ने आगे कहा कि नीतीश कुमार को उस महिला डॉक्टर से “बिना शर्त माफी” मांगनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक मंच पर किसी महिला की निजता का अपमान करना स्वीकार्य नहीं है।

बढ़ता राजनीतिक और सामाजिक विरोध

यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार अपने बयानों या व्यवहार के कारण विवादों में घिरे हों। इससे पहले भी विधानसभा में महिलाओं को लेकर दी गई उनकी एक टिप्पणी पर राष्ट्रीय स्तर पर बवाल हुआ था।

विपक्षी दलों और महिला अधिकार संगठनों ने इस ताज़ा घटना को ‘महिला विरोधी’ और ‘अहंकारी’ करार दिया है। सोशल मीडिया पर लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत गरिमा पर प्रहार मान रहे हैं।

फिलहाल, मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है, लेकिन जायरा वसीम जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों के विरोध ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय बहस का विषय बना दिया है।