मध्य प्रदेश विधानसभा का विशेष सत्र सोमवार को आयोजित किया गया। इस सत्र का मुख्य उद्देश्य राज्य के भविष्य के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करना था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सदन में ‘विकसित मध्य प्रदेश’ का विजन डॉक्यूमेंट प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज केवल एक सरकारी कागज नहीं, बल्कि प्रदेश की 8.5 करोड़ जनता के सपनों का आधार है।
सत्र की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार का लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प के साथ कदमताल करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मध्य प्रदेश के पास संसाधनों और संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। सही नीति और नीयत के साथ हम राज्य को देश के शीर्ष राज्यों की श्रेणी में खड़ा करेंगे।
बुनियादी ढांचे और निवेश पर विशेष जोर
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी। उन्होंने बताया कि सड़कों, सिंचाई परियोजनाओं और औद्योगिक गलियारों का विस्तार तेजी से किया जाएगा। सरकार का प्रयास है कि प्रदेश में निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो, जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित हो सकें। सीएम ने आगामी रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का भी जिक्र किया, जिसके जरिए बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने की योजना है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़े बदलावों के संकेत दिए गए हैं। डॉ. यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन और स्वास्थ्य सुविधाओं के आधुनिकीकरण पर सरकार का पूरा फोकस है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है।
“हमारा लक्ष्य 2047 तक मध्य प्रदेश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर और विकसित बनाना है। यह विजन डॉक्यूमेंट उसी दिशा में हमारा रोडमैप है।” — डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री
विपक्ष की भूमिका और चर्चा
विशेष सत्र के दौरान विपक्ष ने भी चर्चा में हिस्सा लिया। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार के विजन पर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल दस्तावेजों से विकास नहीं होता, इसके लिए जमीनी हकीकत को समझना जरूरी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के हित में उठाए गए हर कदम पर विपक्ष सरकार का साथ देगा। सदन में विभिन्न विधायकों ने अपने क्षेत्रों की समस्याओं और सुझावों को भी रखा।
सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण
मुख्यमंत्री ने विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की बात भी कही। उन्होंने उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थलों के विकास की रूपरेखा भी साझा की। सरकार का मानना है कि पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा योगदान दे सकता है। राम वन गमन पथ और अन्य धार्मिक सर्किटों के विकास को भी इस विजन में शामिल किया गया है।
सत्र के समापन पर मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से आग्रह किया कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रदेश के विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने विश्वास जताया कि जनभागीदारी और राजनीतिक इच्छाशक्ति से मध्य प्रदेश जल्द ही विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।