ई-रिक्शा पर मोटर व्हीकल एक्ट के नियम क्यों नहीं? MP हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

मध्य प्रदेश में ई-रिक्शा के संचालन और नियमन को लेकर एक महत्वपूर्ण मामला सामने आया है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ई-रिक्शा पर मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

अदालत ने राज्य सरकार के अलावा प्रमुख सचिव परिवहन और परिवहन आयुक्त से भी जवाब तलब किया है। कोर्ट ने सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। यह नोटिस नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायर एक जनहित याचिका के बाद जारी किया गया है।

याचिका में उठाए गए गंभीर सवाल

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने यह याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट में पैरवी की। याचिका में तर्क दिया गया है कि ई-रिक्शा अब केवल बैटरी से चलने वाले छोटे वाहन नहीं रह गए हैं। इनकी मोटर क्षमता में वृद्धि की गई है, जिससे ये अब मोटर व्हीकल एक्ट के दायरे में आते हैं।

अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वर्तमान में ई-रिक्शा चालकों के पास न तो ड्राइविंग लाइसेंस होता है और न ही इन वाहनों का उचित पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) कराया जा रहा है। इसके बावजूद ये वाहन सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ा खतरा है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला

याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील को मजबूत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने आदेश का हवाला भी दिया। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी वाहन की मोटर क्षमता 250 वॉट से अधिक है, तो उसे मोटर व्हीकल एक्ट के तहत माना जाएगा।

याचिका में दावा किया गया है कि आज सड़कों पर चल रहे अधिकतर ई-रिक्शा की क्षमता 250 वॉट से कहीं ज्यादा है। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों का पालन नहीं कराया जा रहा है। यह लापरवाही न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ है।

सुरक्षा और विनियमन की मांग

याचिका में मांग की गई है कि ई-रिक्शा चालकों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य किया जाए। साथ ही, इन वाहनों का आरटीओ में पंजीकरण सुनिश्चित किया जाए। बिना नंबर प्लेट और बिना बीमा के चल रहे ई-रिक्शा पर रोक लगाने की भी गुहार लगाई गई है। अब इस मामले में राज्य सरकार और परिवहन विभाग के जवाब के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी।