देवास की सहायक आयुक्त आबकारी मंदाकिनी दीक्षित को शराब ठेकेदारों से रिश्वत मांगने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था। आरोप के अनुसार, उन्होंने पांच शराब दुकानों के बदले हर महीने 7.5 लाख रुपए की मांग की थी। मध्यप्रदेश शासन द्वारा 6 दिसंबर को जारी सस्पेंशन आदेश को दीक्षित ने हाईकोर्ट इंदौर में चुनौती दी है।
हाईकोर्ट में बहस और वकीलों की संख्या पर आश्चर्य
गुरुवार, 18 दिसंबर को मामले की सुनवाई लगभग आधे घंटे तक चली। इस दौरान दीक्षित ने अपने बचाव के लिए 9 वकीलों की टीम पेश की, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल मुख्य पैरवीकार थे। इस पर जज ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि एक याचिकाकर्ता के लिए इतनी बड़ी वकील टीम क्यों। दीक्षित की टीम में मनु माहेश्वरी, शंशाक शेखर राय, रितेश शर्मा, आयुष्मान गुप्ता, स्मृति शर्मा, देव सिंह, यश अग्रवाल, कुणाल चंदेल और पियूष पाराशर शामिल हैं।
दीक्षित का बचाव और आरोपों पर तर्क
दीक्षित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल ने तर्क रखा कि इंदौर निवासी दिनेश मकवाना ने देवास में शराब ठेके के लिए काम किया। मकवाना ने सितंबर में वीडियो बनाया, जिसमें दीक्षित पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया। मकवाना ने 8 नवंबर को आत्महत्या कर ली। मकवाना के रिश्तेदारों ने 9, 11 और 16 नवंबर को यह वीडियो प्रेम यादव को भेजा और दो करोड़ रुपए की मांग कर ब्लैकमेल किया। दीक्षित ने इस मामले की जानकारी 24 नवंबर को एसपी और विभागीय अधिकारियों को दे दी थी।
शासन द्वारा सस्पेंशन और वीडियो वायरल
हालांकि, वीडियो 5 दिसंबर को वायरल हुआ। इसके बाद 6 दिसंबर को सरकार ने केवल व्हाट्सएप संदेश के आधार पर दीक्षित को सस्पेंड कर दिया। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कोई नोटिस जारी नहीं किया गया और जांच भी नहीं कराई गई।
हाईकोर्ट की सवालों और सरकार की दलील
सुनवाई के दौरान जज ने पूछा कि यदि वीडियो की जानकारी 9 नवंबर को मिल गई थी, तो विभाग को सूचना क्यों नहीं दी गई। दीक्षित के अधिवक्ता ने जवाब दिया कि उन्होंने उच्च अधिकारियों और एसपी को जानकारी दे दी थी।
सरकारी वकील ने कहा कि शासन स्तर पर यह जानकारी 6 दिसंबर को ही प्राप्त हुई, जिसके बाद सस्पेंशन किया गया। हाईकोर्ट ने इस मामले में संदेह व्यक्त किया कि मामला “कुछ फिशी” लग रहा है। जज ने कहा कि यह सामान्य मामला नहीं है क्योंकि इसमें शराब ठेकेदार की आत्महत्या और गंभीर रिश्वत के आरोप शामिल हैं।
सरकारी पक्ष ने बताया कि उनके पास वीडियो और अन्य सामग्री मौजूद है और जांच जारी है। जांच के दौरान दीक्षित को ग्वालियर अटैच किया गया और उनकी जगह नए अधिकारी को प्रभार दिया गया। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। फिलहाल दीक्षित को सस्पेंशन से राहत नहीं मिली।
वीडियो में आरोप और दीक्षित का जवाब
वीडियो में दिनेश मकवाना ने आरोप लगाया कि सहायक आयुक्त आबकारी मंदाकिनी दीक्षित ने एक शराब दुकान से 1.5 से 2 लाख रुपए और पांच दुकानों के लिए 7.5 लाख रुपए प्रति माह की रिश्वत मांगी थी। मकवाना ने बताया कि उन्होंने अब तक 20-22 लाख रुपए दिए हैं और यदि पैसे नहीं दिए तो वेयरहाउस से माल उठाने नहीं दिया जाता था।
दीक्षित ने इस पर साफ सफाई दी कि यह वीडियो उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए पुराना वीडियो ब्लैकमेल के लिए वायरल किया गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले ही देवास एसपी को शिकायत की थी और ठेकेदार के रिश्तेदार वीडियो का डर दिखाकर उनसे दो करोड़ रुपए मांग रहे थे। उन्होंने इसे पूरी तरह से झूठा बताया और मामले की सत्यापित जांच कराने की मांग की।
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