रीवा के संजय गांधी अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्ची को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का मामला, ब्लड बैंक प्रभारी और दो लैब टेक्नीशियन निलंबित

मध्य प्रदेश के रीवा जिले से स्वास्थ्य विभाग की एक गंभीर लापरवाही सामने आई है। यहां के संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय (SGMH) में थैलेसीमिया से पीड़ित एक 6 वर्षीय मासूम बच्ची को एचआईवी (HIV) संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया। इस घटना के उजागर होने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से बड़ी कार्रवाई की है।

ब्लड बैंक प्रभारी और टेक्नीशियन सस्पेंड

संभागायुक्त ने इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. बी.के. शर्मा को निलंबित कर दिया है। उनके साथ ही ब्लड बैंक में कार्यरत दो लैब टेक्नीशियनों पर भी गाज गिरी है। अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन ने इस घटना को घोर लापरवाही मानते हुए यह सख्त कदम उठाया है। यह घटना न केवल अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा करती है।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के मुताबिक, पीड़ित बच्ची थैलेसीमिया बीमारी से ग्रसित है। इस बीमारी में मरीज को नियमित अंतराल पर खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। उपचार के दौरान उसे संजय गांधी अस्पताल के ब्लड बैंक से रक्त उपलब्ध कराया गया था। परिजनों का आरोप है कि बिना उचित जांच के ही बच्ची को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। जब बच्ची की तबीयत बिगड़ी और दोबारा जांच कराई गई, तो वह एचआईवी पॉजिटिव पाई गई। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया और न्याय की मांग की।

जांच कमेटी का गठन

घटना के तूल पकड़ते ही अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया। मामले की गहन जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी जांच करेगी कि आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई। क्या डोनर के खून की ठीक से जांच नहीं की गई थी? या फिर रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी हुई? इन सभी पहलुओं पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले

यह पहली बार नहीं है जब किसी सरकारी अस्पताल में संक्रमित खून चढ़ाने का मामला सामने आया हो। इससे पहले भी प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में थैलेसीमिया मरीजों को हेपेटाइटिस या एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने की घटनाएं हो चुकी हैं, जो ब्लड बैंकों की स्क्रीनिंग प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती हैं। रीवा की इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में थोड़ी सी भी चूक किसी की जिंदगी भर का दर्द बन सकती है।

परिजनों में भारी आक्रोश

मासूम बच्ची के एचआईवी संक्रमित होने की खबर से उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही बच्ची के लिए अब जीवन और भी कठिन हो गया है। परिजनों ने दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। प्रशासन ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।