मध्य प्रदेश सरकार राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी के लिए अब आबकारी विभाग के जरिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार की योजना है कि प्रदेश में बनने वाली शराब को अब केवल स्थानीय सीमाओं तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इसे सात समंदर पार विदेशों में भी निर्यात किया जाए। इसके लिए सरकार एक नई और व्यापक रणनीति पर काम कर रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मोहन सरकार शराब उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एक नई ‘एकीकृत आबकारी नीति’ (Integrated Excise Policy) लाने की तैयारी में है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य में शराब उत्पादन की क्षमता को बढ़ाना है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य के भीतर शराब की खपत या सप्लाई नियंत्रित रहे। बढ़ा हुआ उत्पादन मुख्य रूप से निर्यात के लिए उपयोग किया जाएगा।
हेरिटेज शराब की विदेशों में ब्रांडिंग
सरकार का मानना है कि भारतीय शराब, विशेषकर मध्य प्रदेश में बनने वाली ‘हेरिटेज लिकर’ (Heritage Liquor) और ‘स्पेशल लिकर’ की अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग है। महुआ और अन्य पारंपरिक स्रोतों से बनने वाली हेरिटेज शराब को ग्लोबल मार्केट में एक प्रीमियम प्रोडक्ट के तौर पर पेश करने की तैयारी है। इससे न केवल राज्य का निर्यात बढ़ेगा, बल्कि सरकार को विदेशी मुद्रा के रूप में भी बड़ा राजस्व प्राप्त होगा।
नियमों में दी जाएगी ढील
इस नई नीति के तहत राज्य में डिस्टिलरी और बॉटलिंग यूनिट्स को बढ़ावा दिया जाएगा। आबकारी विभाग के सूत्रों का कहना है कि निर्यात प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए नियमों में कई बदलाव किए जाएंगे:
- लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
- क्वालिटी कंट्रोल के मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का किया जाएगा।
- एक्सपोर्ट प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए विशेष प्रावधान होंगे।
सरकार को उम्मीद है कि इन सुधारों से शराब उद्योग में नए निवेशक आकर्षित होंगे और राज्य में नई यूनिट्स लगेंगी। घरेलू स्तर पर भी जो अतिरिक्त उत्पादन होगा, उसे पड़ोसी राज्यों में सप्लाई कर राजस्व कमाया जाएगा। यह कदम राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।