New Delhi : दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में ठंड की दस्तक के साथ ही वायु प्रदूषण ने भी अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। सुबह के समय शहर धुंध की एक मोटी चादर में लिपटा नजर आ रहा है, जिससे विजिबिलिटी कम होने के साथ-साथ हवा की गुणवत्ता भी बेहद खराब हो गई है।
ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के कई प्रमुख इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंच गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर ने लोगों की सेहत पर खतरा बढ़ा दिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के डेटा के अनुसार, सबसे भयावह स्थिति नोएडा सेक्टर-1 में दर्ज की गई है। यहां एक्यूआई का स्तर 474 तक पहुंच गया है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक माना जाता है।
लंबे समय तक ऐसी जहरीली हवा में सांस लेने से स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार पड़ सकता है, जबकि बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है।
18 जगहों पर हवा हुई जहरीली
राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में कुल 18 स्थानों पर एक्यूआई 400 से ऊपर दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा बताता है कि हवा में प्रदूषण के कणों की मात्रा कितनी अधिक हो गई है।
जिन इलाकों में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, उनमें आनंद विहार, विवेक विहार, पंजाबी बाग, नेहरू नगर और आर.के. पुरम शामिल हैं। इसके अलावा, आईटीओ और द्वारका सेक्टर-8 में भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है।
नोएडा की स्थिति सबसे चिंताजनक
दिल्ली से सटे नोएडा में भी हालात बेहद खराब हैं। नोएडा सेक्टर-1 के अलावा, सेक्टर-125 और अन्य कई इलाकों में एक्यूआई 400 के पार चला गया है। नोएडा सेक्टर-1 का 474 का एक्यूआई स्तर इस बात का संकेत है कि वहां की हवा में जहर घुल चुका है। सुबह की सैर पर निकलने वाले लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं AQI के मानक?
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के मानकों को समझना जरूरी है ताकि खतरे का अंदाजा लगाया जा सके:
0–50: अच्छा
51–100: संतोषजनक
101–200: मध्यम
201–300: खराब
301–400: बहुत खराब
401–500: गंभीर
फिलहाल दिल्ली-एनसीआर के कई इलाके ‘गंभीर’ श्रेणी में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस श्रेणी में हवा का स्तर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक हो जाता है और यह स्वस्थ लोगों को भी सांस संबंधी गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है।
प्रशासन द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रैप (GRAP) के विभिन्न चरणों को लागू किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल राहत के आसार कम नजर आ रहे हैं।