आईएएस संतोष वर्मा के कथित फर्जी प्रमोशन मामले में पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाते हुए अहम गिरफ्तारी की है। फर्जी न्यायिक आदेश तैयार करने के आरोप में कोर्ट की बाबू नीतू सिंह चौहान को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद उसे अदालत परिसर से हिरासत में लिया गया और न्यायालय में पेश किया गया, जहां से दो दिन की पुलिस रिमांड मंजूर की गई।
फर्जी आदेश तैयार करने का आरोप
पुलिस जांच में सामने आया है कि नीतू सिंह चौहान पर तत्कालीन स्पेशल जज विजय रावत की अदालत के नाम से फर्जी न्यायिक आदेश तैयार करने का आरोप है। इन्हीं कथित आदेशों के आधार पर आईएएस संतोष वर्मा ने अपने प्रमोशन का लाभ लिया था। पुलिस का कहना है कि अदालत के रजिस्टर और फाइलों में मौजूद प्रविष्टियों पर बाबू की हस्तलिपि मिली है, जिसे कार्रवाई का आधार बनाया गया है।
मूल दस्तावेज अभी बरामद नहीं
एडिशनल डीसीपी के अनुसार, अब तक फर्जी आदेशों की मूल प्रति पुलिस के हाथ नहीं लगी है। इस वजह से जांच को और गहराई से आगे बढ़ाया जा रहा है। पुलिस ने आरोपी के घर की तलाशी के लिए अनुमति मांगी है, ताकि कंप्यूटर, हार्ड डिस्क और अन्य डिजिटल उपकरण जब्त कर तकनीकी साक्ष्य जुटाए जा सकें।
दो अलग-अलग फर्जी आदेशों का दावा
जांच में यह भी सामने आया है कि संतोष वर्मा की ओर से अदालत के नाम से दो अलग-अलग फर्जी आदेश प्रस्तुत किए गए थे। इनमें एक आदेश में केस समाप्त होने और दूसरे में दोषमुक्त होने का दावा किया गया था। इन्हीं दस्तावेजों के जरिए प्रमोशन से जुड़ा लाभ लेने की बात सामने आई है।
जांच का दायरा और बढ़ने की संभावना
इस पूरे मामले में तत्कालीन स्पेशल जज और आईएएस संतोष वर्मा की भूमिका की भी जांच जारी है। कोर्ट टाइपिस्ट की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उम्मीद है कि जांच का दायरा और विस्तृत होगा और इस प्रकरण से जुड़े अन्य तथ्य व जिम्मेदार चेहरे भी सामने आ सकते हैं।