भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा अब हाईटेक होने की राह पर है। विधानसभा के कामकाज को पूरी तरह से डिजिटल और पेपरलेस बनाने की कवायद तेज हो गई है। आगामी विधानसभा सत्र से पहले विधायकों को तकनीक से जोड़ने के लिए विशेष प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया गया है। इस पहल का उद्देश्य विधायी कार्यों में पारदर्शिता लाना और कागज की बचत करना है।
विधानसभा सचिवालय ने विधायकों को ‘ई-विधान’ प्रणाली से अवगत कराने के लिए एक ट्रेनिंग सेशन आयोजित करने की योजना बनाई है। यह प्रशिक्षण 20 नवंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से ठीक पहले दिया जाएगा। इसमें नवनिर्वाचित और पुराने, सभी विधायकों को डिजिटल उपकरणों के इस्तेमाल के गुर सिखाए जाएंगे।
टैबलेट और लैपटॉप का उपयोग सीखेंगे विधायक
विधानसभा को पेपरलेस बनाने के लिए विधायकों को टैबलेट और लैपटॉप के जरिए सवाल पूछने, प्रस्ताव रखने और अन्य विधायी कार्य करने की जानकारी दी जाएगी। अब तक विधानसभा में अधिकांश काम कागजों पर होता आया है, जिससे न केवल समय अधिक लगता है बल्कि भारी मात्रा में कागज भी खर्च होता है। ई-विधान लागू होने से सारी जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध होगी।
इस ट्रेनिंग के दौरान विधायकों को बताया जाएगा कि वे कैसे ऑनलाइन माध्यम से अपने प्रश्न सचिवालय तक पहुंचा सकते हैं और कैसे सदन की कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड देख सकते हैं। सरकार का प्रयास है कि सदन की कार्यवाही को पूरी तरह से इको-फ्रेंडली बनाया जाए।
पुरानी व्यवस्था में बदलाव की तैयारी
गौरतलब है कि देश की कई अन्य विधानसभाएं पहले ही डिजिटल हो चुकी हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ई-विधान प्रणाली सफलतापूर्वक काम कर रही है। मध्य प्रदेश में भी इसे लागू करने की चर्चा लंबे समय से चल रही थी। अब इसे धरातल पर उतारने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
विधानसभा अध्यक्ष और सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस ट्रेनिंग के बाद विधायक सदन में तकनीक का बेहतर इस्तेमाल कर पाएंगे, जिससे विधायी कार्यों की गति और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा। यह बदलाव न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि यह प्रशासनिक दक्षता को भी बढ़ाएगा।