मध्यप्रदेश के घने जंगलों के बीच से गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-45 इन दिनों खास चर्चा में है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भोपाल-जबलपुर मार्ग पर स्थित वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिज़र्व नौरादेही से गुजरने वाले हिस्से का वीडियो साझा करते हुए इसे भारत का पहला वाइल्डलाइफ-सेफ हाईवे बताया है। इस हाईवे के निर्माण में ऐसी आधुनिक तकनीक अपनाई गई है, जिसका उद्देश्य सड़क सुरक्षा के साथ-साथ वन्यजीवों की रक्षा सुनिश्चित करना है।
रेड टेबल-टॉप ब्लॉक मार्किंग से घटेगी रफ्तार
नौरादेही टाइगर रिज़र्व से गुजरने वाले एनएच-45 के लगभग 11.96 किलोमीटर हिस्से को 2 और 4 लेन में विकसित किया गया है। इनमें से करीब 2 किलोमीटर का क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील वन्यजीव क्षेत्र है, जहां सड़क पर 5 मिमी मोटी रेड टेबल-टॉप ब्लॉक मार्किंग की गई है। जब कोई वाहन इन लाल ब्लॉक्स पर गुजरता है, तो हल्का कंपन और झटका महसूस होता है, जिससे चालक स्वतः ही वाहन की गति कम कर देता है। लाल रंग को खतरे के संकेत के रूप में देखा जाता है, इसलिए यह तकनीक चालक के मनोविज्ञान पर भी असर डालती है।
नई तकनीक से बढ़ी सड़क और वन्यजीव सुरक्षा
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अनुसार, इस क्षेत्र में पहले तेज रफ्तार वाहनों के कारण हिरन, नीलगाय और अन्य वन्यजीवों के सड़क हादसों का शिकार होने की घटनाएं लगातार सामने आ रही थीं। इसे डेंजर ज़ोन माना जाने लगा था। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप यह नई तकनीक लागू की गई।
रेड ब्लॉक्स के साथ-साथ सड़क के दोनों ओर 5 मिमी मोटी व्हाइट पैवर शोल्डर लाइन बनाई गई है, जिससे वाहन के सड़क से हटने या चालक को झपकी आने की स्थिति में कंपन के जरिए उसे तुरंत सतर्क किया जा सके। इसके अलावा, वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही के लिए 25 वाइल्डलाइफ अंडरपास भी बनाए गए हैं। NHAI का दावा है कि इस तकनीक के लागू होने के बाद अब तक न तो कोई गंभीर सड़क दुर्घटना हुई है और न ही किसी वन्यजीव के घायल होने की सूचना मिली है।
नौरादेही टाइगर रिज़र्व: जैव विविधता का बड़ा केंद्र
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिज़र्व मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व है, जिसका कुल क्षेत्रफल 2339 वर्ग किलोमीटर है। इसमें 1414 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया और 922 वर्ग किलोमीटर बफर एरिया शामिल है। यह इलाका भारतीय भेड़िए, पैंथर, वाइल्ड डॉग, जैकल, ग्रे फॉक्स और कॉमन ओटर जैसे दुर्लभ वन्यजीवों का प्रमुख प्राकृतिक आवास माना जाता है। वर्ष 2018 में इसे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण परियोजना में शामिल किया गया था, जिसके बाद यहां संरक्षण प्रयासों में तेजी आई।
बाघों और अन्य वन्यजीवों की बढ़ती संख्या
संरक्षण उपायों का सकारात्मक असर नौरादेही टाइगर रिज़र्व में साफ दिखाई दे रहा है। वर्ष 2019 से यहां बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है और वर्तमान में इनकी संख्या 26 तक पहुंच चुकी है। गांवों के विस्थापन, घास के मैदानों के विकास और पेंच व कान्हा से चीतल लाए जाने के बाद बीते कुछ वर्षों में शाकाहारी जीवों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। इसके साथ-साथ चिंकारा और नीलगाय की आबादी भी बढ़ रही है।
ब्लैक बक से मजबूत हुआ प्राकृतिक भोजन चक्र
नौरादेही क्षेत्र में ब्लैक बक की संख्या बढ़ने से यहां के मांसाहारी जीवों के लिए प्राकृतिक भोजन चक्र और अधिक सशक्त हुआ है। दो अलग-अलग अवसरों पर 153 और 35 ब्लैक बक को सुरक्षित क्षेत्रों में छोड़ा गया, जिससे जैव संतुलन को मजबूती मिली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी अपने संदेश में कहा है कि विकास के साथ पर्यावरण संतुलन और वन्यजीव संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इस तरह की तकनीकें भविष्य की दिशा तय करेंगी।
तीन जिलों में फैला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व
नौरादेही टाइगर रिज़र्व सागर, दमोह और नरसिंहपुर—इन तीन जिलों में फैला हुआ है। यह क्षेत्र न केवल बाघों, बल्कि कई दुर्लभ मांसाहारी और शाकाहारी प्रजातियों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल है। एनएच-45 पर अपनाई गई वाइल्डलाइफ-सेफ तकनीक अब विकास और संरक्षण के संतुलन का एक मजबूत उदाहरण बनकर सामने आई है।