नए साल पर वैष्णो देवी यात्रा, ग्वालियर-चंबल के यात्रियों को रेलवे का तोहफा, 2026 तक पूरी होगी नई लाइन

ग्वालियर और चंबल संभाग के निवासियों के लिए भारतीय रेलवे की ओर से एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अगर आप नए साल पर माता वैष्णो देवी के दर्शन या अमृतसर में स्वर्ण मंदिर जाने की योजना बना रहे हैं, तो आने वाला समय आपके लिए बेहद सुविधाजनक होने वाला है। रेलवे ने एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा अपडेट जारी किया है।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, भिंड से कोंच (जालौन) के बीच नई रेल लाइन बिछाने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की कनेक्टिविटी सीधे उत्तर भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों से हो जाएगी। रेलवे का लक्ष्य है कि साल 2026 तक इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया जाए।

सीधी कनेक्टिविटी से बचेगा समय

वर्तमान में ग्वालियर या चंबल क्षेत्र के लोगों को वैष्णो देवी (कटरा) या अमृतसर जाने के लिए लंबे और घुमावदार रास्तों का सहारा लेना पड़ता है। अक्सर यात्रियों को दिल्ली या अन्य जंक्शनों पर ट्रेन बदलनी पड़ती है। भिंड-कोंच रेल लाइन के बनने से यह समस्या खत्म हो जाएगी। यह नया रूट न केवल दूरी कम करेगा, बल्कि यात्रा में लगने वाले समय में भी भारी कटौती करेगा।

रेलवे का मास्टर प्लान

इस परियोजना के तहत भिंड और कोंच के बीच लगभग 50 किलोमीटर की नई लाइन बिछाने का प्रस्ताव है। रेलवे बोर्ड ने इस प्रोजेक्ट के सर्वे को मंजूरी दे दी है और डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। अधिकारियों का मानना है कि यह लाइन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच एक महत्वपूर्ण लिंक साबित होगी।

व्यापार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

इस नई रेल लाइन का लाभ केवल धार्मिक यात्रियों तक सीमित नहीं रहेगा। इससे क्षेत्र के व्यापार और पर्यटन को भी नई गति मिलेगी। भिंड और जालौन जैसे इलाकों में कनेक्टिविटी बढ़ने से माल ढुलाई आसान होगी और स्थानीय उद्योगों को बड़े बाजारों तक पहुंच मिलेगी। इसके अलावा, ग्वालियर से सीधे जम्मू और पंजाब के लिए ट्रेनों की संख्या में भी बढ़ोतरी की संभावना है।

2026 तक परिचालन का लक्ष्य

रेलवे प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता सूची में रखा है। जमीन अधिग्रहण और तकनीकी मंजूरियों के बाद निर्माण कार्य में तेजी लाई जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2026 की शुरुआत तक इस ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी, जिससे लाखों यात्रियों को सीधा लाभ मिलेगा। यह कदम रेलवे के नेटवर्क विस्तार और यात्री सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में एक अहम पड़ाव साबित होगा।