इंदौर का नाम जब भी जुबां पर आता है, तो सबसे पहले वहां के खानपान और जायके की चर्चा होती है। पोहा-जलेबी से लेकर सराफा बाजार की रात की रौनक तक, इस शहर ने खाने के शौकीनों के लिए हमेशा कुछ खास पेश किया है। इसी कड़ी में एक नाम ऐसा है जिसने न केवल इंदौर बल्कि देश-विदेश में अपनी पहचान बनाई है। यह नाम है ‘सैंडविच किंग’ के नाम से मशहूर ओम सैंडविच का।
एक छोटे से ठेले से शुरू हुआ यह सफर आज करोड़ों के कारोबार में बदल चुका है। ओम सैंडविच की सफलता की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। यह कहानी मेहनत, लगन और स्वाद के प्रति समर्पण की मिसाल पेश करती है। आज इस ब्रांड का मासिक टर्नओवर लगभग 5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो किसी भी स्थानीय खाद्य व्यवसाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
57 साल पहले हुई थी शुरुआत
ओम सैंडविच की नींव आज से करीब 57 साल पहले रखी गई थी। उस दौर में इंदौर के सराफा बाजार में एक छोटा सा ठेला लगाया जाता था। शुरुआत बेहद साधारण थी, लेकिन स्वाद में कुछ ऐसा जादू था कि लोग खिंचे चले आते थे। धीरे-धीरे यह स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ गया और वह छोटा सा ठेला एक बड़े ब्रांड में तब्दील हो गया।
सराफा बाजार, जो अपनी रात की चौपाटी के लिए प्रसिद्ध है, वहां ओम सैंडविच की दुकान पर आज भी ग्राहकों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। स्थानीय लोगों के अलावा, इंदौर घूमने आने वाले पर्यटक भी यहां का सैंडविच चखे बिना नहीं जाते।
विदेशों तक फैला स्वाद का जादू
ओम सैंडविच की लोकप्रियता अब केवल इंदौर या मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं रह गई है। इसकी ख्याति सरहदों के पार भी पहुंच चुकी है। दुबई और लंदन जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय शहरों में भी इसके आउटलेट्स खुल चुके हैं। यह बात इस ब्रांड की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण है।
इंदौर के खानपान की संस्कृति में सैंडविच को एक नया आयाम देने का श्रेय इसी संस्थान को जाता है। उन्होंने पारंपरिक स्वाद के साथ नए प्रयोग किए, जो ग्राहकों को खूब पसंद आए। यही वजह है कि आज दुनिया भर में इसके दीवाने मौजूद हैं।
सफलता के पीछे का गणित
व्यापारिक दृष्टिकोण से देखें तो ओम सैंडविच के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ब्रांड की एक महीने की बिक्री लगभग 5 करोड़ रुपये है। यह आंकड़ा बताता है कि अगर गुणवत्ता और स्वाद के साथ समझौता न किया जाए, तो एक छोटा सा विचार भी विशाल वटवृक्ष का रूप ले सकता है।
इंदौर को देश की ‘फूड कैपिटल’ कहा जाता है और ओम सैंडविच जैसे ब्रांड इस दावे को और मजबूत करते हैं। यह सफलता उन तमाम छोटे व्यापारियों के लिए प्रेरणा है जो अपने हुनर के दम पर बड़ा मुकाम हासिल करना चाहते हैं।
पुरानी यादें और विरासत
इंदौर के पुराने लोग आज भी उस दौर को याद करते हैं जब सराफा में ओम प्रकाश चौरसिया ने सैंडविच बेचना शुरू किया था। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि यह नाम एक दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंजेगा। आज उनकी अगली पीढ़ी इस विरासत को न केवल संभाल रही है, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों पर भी ले जा रही है।
सराफा बाजार की तंग गलियों से निकलकर ग्लोबल ब्रांड बनने तक का यह सफर इंदौर की उद्यमशीलता का एक बेहतरीन उदाहरण है। ओम सैंडविच ने साबित कर दिया है कि स्वाद ही वह भाषा है जिसे दुनिया का हर कोने का व्यक्ति समझता और सराहता है।