Indore News : देश के कई शहरों में जहां पिछले कुछ वर्षों में अत्याधुनिक हवाई अड्डों का उद्घाटन हुआ है, वहीं मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर का एयरपोर्ट विस्तार लालफीताशाही में उलझकर रह गया है। ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ (केंद्र, राज्य और शहर में भाजपा) होने के बावजूद पिछले पांच सालों से इंदौर एयरपोर्ट के विस्तार का काम जमीन अधिग्रहण न हो पाने के कारण रुका हुआ है।

स्थिति यह है कि केंद्र सरकार ने पांच साल पहले ही एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन और अन्य सुविधाओं के लिए 700 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दे दी थी। लेकिन, राज्य सरकार अब तक आवश्यक जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सकी है।
सांसद का पांच साल का संघर्ष
इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि वे पिछले पांच वर्षों से जमीन अधिग्रहण के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने मुख्य सचिव से लेकर कलेक्टर तक, राज्य के तमाम आला अधिकारियों के साथ कई बैठकें की हैं। सांसद के अनुसार, केंद्र सरकार विस्तार पर 700 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने को तैयार है, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार को जमीन उपलब्ध करानी होगी।
“मैं लगातार प्रयासरत हूं। दिल्ली, भोपाल और इंदौर में संबंधित अधिकारियों और यहां तक कि मुख्यमंत्री से भी अनुरोध कर चुका हूं। अब प्रोजेक्ट की लागत बढ़कर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है।” — शंकर लालवानी, सांसद, इंदौर
क्या कहता है नियम?
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की नीति के अनुसार, किसी भी राज्य में एयरपोर्ट के निर्माण या विस्तार के लिए जमीन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की होती है। भूमि अधिग्रहण में आने वाला खर्च भी राज्य शासन को ही वहन करना होता है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू किंजरापू ने अपने एक पत्र में स्पष्ट किया है कि इंदौर एयरपोर्ट पर समानांतर टैक्सी ट्रैक, आइसोलेशन बे और रन-वे विस्तार के लिए राज्य सरकार से 143 एकड़ जमीन की अपेक्षा है, जो अभी तक नहीं मिल पाई है।
उज्जैन को मिली राशि, इंदौर को इंतजार
एक तरफ जहां इंदौर जमीन के इंतजार में है, वहीं कुछ समय पहले ही राज्य शासन ने उज्जैन में हवाई पट्टी के विस्तार के लिए न केवल जमीन उपलब्ध कराई, बल्कि एयरपोर्ट अथॉरिटी को 45 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की। यह विरोधाभास इंदौर के विकास में आ रही प्रशासनिक बाधाओं को उजागर करता है।
मास्टर प्लान और निजीकरण का पेंच
सांसद लालवानी ने स्पष्ट किया कि अब इंदौर एयरपोर्ट निजीकरण की सूची से बाहर हो गया है। इसका अर्थ है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ही यहां नए टर्मिनल और रनवे का निर्माण करेगी। इंदौर के मास्टर प्लान में एयरपोर्ट के लिए 1100 एकड़ जमीन चिन्हित है, जो धार रोड की तरफ खाली पड़ी है।
पहले चरण में केवल 89 एकड़ जमीन की मांग की गई है। यह जमीन निजी है और खाली पड़ी है। इसके अधिग्रहण पर लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। चूंकि यहां निर्माण की अनुमति नहीं मिलती, इसलिए जमीन की कीमत भी अपेक्षाकृत कम है।
अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर केंद्र का रुख
सांसद लालवानी ने सिंगापुर और थाईलैंड के लिए सीधी उड़ानों को लेकर भी केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखे थे। इसके जवाब में मंत्रालय ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें दो देशों के बीच हवाई सेवा समझौतों और एयरलाइनों की व्यावसायिक स्वतंत्रता पर निर्भर करती हैं। हालांकि, मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि इंदौर से अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एयरलाइनों को प्रोत्साहित किया जाएगा और हर संभव सहयोग दिया जाएगा।
फिलहाल, यह इंदौर का दुर्भाग्य ही है कि केंद्र की तैयारी के बावजूद राज्य स्तर पर जमीन न मिल पाने के कारण एक महत्वपूर्ण विकास परियोजना ठंडे बस्ते में पड़ी है।