देश में पुरानी पेंशन और नई पेंशन स्कीम (Pension Scheme) को लेकर सरकार और विपक्षी दलों के बीच खींचतान देखने को मिल रही है। हर गैर-बीजेपी शासित राज्यों में विपक्ष ये मुद्दा उछाल रहा है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन को बड़ा मुद्दा बनाया था और सरकार बनने के बाद इसे लागू करने का ऐलान भी कर दिया है। अब शुक्रवार को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा है।
पुरानी पेंशन योजना की मांग तेज
महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन योजना की मांग तेज हो गई है। जिसके बाद राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के कार्यान्वन और अध्ययन सिफारिश के लिए कमेटी तैयार की गई थी। कमेटी को रिपोर्ट सपना के लिए 3 महीने का समय दिया गया था। हालांकि 3 महीने में रिपोर्ट का कार्य पूरा नहीं होने के बाद इसे और 2 महीने का विस्तार दिया गया था। जिसके अब तक रिपोर्ट पर कोई अपडेट सामने नहीं आई है। इस विस्तार को भी समाप्त हुए एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है।
नई और पुरानी पेंशन स्कीम में अंतर
देश में एक जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है। दोनों पेंशन के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं। पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। क्योंकि पुरानी स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है। इसके अलावा पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है।
कमेटी जल्द सौंपेगी रिपोर्ट
माना जा रहा है कि जल्द कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद आगे की कार्रवाई पूरी की जाएगी। दरअसल महाराष्ट्र के सभी कर्मचारियों द्वारा मार्च महीने में अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की गई थी। 14 मार्च से सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। जिसके बाद 21 मार्च तक हड़ताल जारी रही थी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा सभी कर्मचारियों को हड़ताल खत्म करने के लिए पुरानी पेंशन योजना पर समिति गठन करने और सिफारिश के आधार पर योजना को लागू करने का आश्वासन दिया गया था।
कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं
नई पेंशन स्कीम (NPS) का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है। इसमें कर्मचारी का योगदान उसकी बेसिक सैलरी और DA का 10 फीसदी कर्मचारियों को प्राप्त होता है. इतना ही योगदान राज्य सरकार भी देती है। एक मई 2009 से एनपीएस स्कीम सभी के लिए लागू की गई। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है। पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है।
चार सदस्यीय समिति का गठन
हालांकि इन आश्वासन के अनुसार कर्मचारियों द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल को वापस ले लिया गया था। सरकार द्वारा मार्च महीने में ही रिटायर्ड भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी सुबोध कुमार की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया था। समिति को रिपोर्ट सामने 3 महीने का समय दिया गया था। जिसके बाद इसे 2 महीने का अतिरिक्त विस्तार भी दिया गया है। विस्तार की तिथि भी लगभग समाप्त हो गई है। इस मामले में लिपिक अधिकार परिषद के प्रदेश महासचिव उमाकांत सूर्यवंशी का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा दिया गया शासन समाप्त हो चुका है। हड़ताल खत्म हुए 5 महीने बीत गए हैं लेकिन इस संबंध में नियुक्त कमेटी की रिपोर्ट अब तक पेश नहीं की गई है। सरकार को तत्काल प्रभाव से पुरानी पेंशन योजना को लागू करना चाहिए अन्यथा सभी कर्मचारी आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे।