Sawan 2023: आज है सावन का आठवां मंगला गौरी व्रत, अखंड सौभाग्य पाने के लिए इस तरह करें माता को प्रसन्न, रहेगा सुखी दांपत्य जीवन

Sawan 2023 : श्रावण के माह में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को विवाहित स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य की मनोकामना को मन में लिए मंगला गौरी व्रत का संकल्प लेती हैं। ऐसे में आज यानी कि 22 अगस्त 2023 को सावन का आठवां मंगलवार है। वहीं हिंदू धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाएं ये उपवास रखती हैं और मां मंगला गौरी की पूरे विधि-विधान के साथ सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा-अर्चना करती हैं। इस बीच विवाहित महिलाएं मां मंगला गौरी से अपने पति की लंबी आयु और हमेशा साथ बने रहने का वर मांगती हैं। इसी के साथ कुंवारी कन्याएं अच्छा सुहाग या अच्छा वर पाने और शीघ्र विवाह की कामना लिए मां पार्वती का मंगला गौरी व्रत रखेगी। चलिए जानते हैं विस्तार से मंगला गौरी व्रत और पूजन विधि के विषय में जानते हैं।

सनातन परंपरा के अनुसार, मान्यता है कि मंगला गौरी का व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है. इस दौरान शादीशुदा महिलाएं सावन के महीने में इस व्रत को विधि-विधान से पूजा पाठ कर इस व्रत का पालन करती हैं. कहते हैं कि मंगला गौरी व्रत में विधि पूर्वक पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके साथ ही महिलाओं के दांपत्य जीवन खुशहाल बना रहता है.

जानिए मंगला गौरी व्रत का क्या है धार्मिक महत्व?

वहीं हिंदू सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस मंगला गौरी उपवास को विवाहित स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी आयु और अपने घर परिवार में सुख-शांति और समृद्धि एवं स्नेह और प्रेम बने रहने के लिए इस उपवास को पूरा करके विधि-विधान से पूजा अर्चना करती हैं। इसके साथ ही यदि कुंवारी युवतियां मंगला गौरी उपवास करती हैं तो उन्हें मनोवांछित वर का आशीष मिलता है। इसके साथ ही उनके विवाह से संबंधित सभी बाधाएं जल्द ही समाप्त हो जाती हैं।

इस तरह करें मंगला गौरी की विशेष पूजा अर्चना

  • सुहागन स्त्रियां सावन के आठवें मंगला गौरी व्रत के दिन प्रातः शीघ्र उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ़ स्वच्छ वस्त्र धारण कर माँ की पूरे विधि विधान के साथ पूजा पाठ करें।
  • अब इन सबके बाद विवाहित महिलाएं स्वच्छ लकड़ी के आसन पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर इसके पश्चात मां पार्वती की प्रतिमा, चित्र अथवा तस्वीर की स्थापना करें।
  • मंगला गौरी व्रत वाले दिन सुहागन महिलाएं प्रण लें। इसके पश्चात आटे से बना हुआ दीया तैयार करें फिर इसे गाय के शुद्ध और देशी घी से प्रज्वलित करें। इसके बाद मां की प्रतिमा पर पुष्प-फूल चढ़ाकर उनकी आराधना करें।
  • इसको लेकर एक बात का स्मरण अवश्य रखें कि यदि आप पूजा में जो भी वस्तु जैसे सुहाग की सामग्री, फल, पुष्प, माला, मिठाई चढ़ाएं उनकी संख्या 16 से बिल्कुल भी कम नहीं होनी चाहिए।
  • अब पूजा की समाप्ति के बीच मां गौरी का मंगल आरती करें। इसके साथ ही उनसे अखंड सौभाग्य देने का आशीष मांगे।