जिससे गूंजता है आज भी संसार – ‘रामचरितमानस’ से लेकर ‘हनुमान चालीसा’ तक के रचयिता महाकवि तुलसीदास की जयंती आज

तुलसीदास जयंती, जो हर साल 23 अगस्त को मनाई जाती है, हिंदी साहित्य के एक महान व्यक्तिगतत्व की याद में मनाई जाती है। उनके योगदान ने न केवल हिंदी भाषा को महत्वपूर्ण बनाया, बल्कि धार्मिक और सामाजिक मूल्यों की रूपरेखा को भी सुधारा। तुलसीदास, महाकवि और संत, ने अपने अद्भुत लेखनी के माध्यम से धर्म, भक्ति और नैतिकता के सिद्धांतों को प्रस्तुत किया। उनकी प्रमुख रचनाएँ ‘रामचरितमानस’, ‘विनय पत्रिका’, ‘हनुमान चालीसा’ आदि हैं।

तुलसीदास का ‘रामचरितमानस’ एक ऐतिहासिक महाकाव्य है, जो भगवान श्रीराम की कहानी को सुंदरता से रचता है। इसके माध्यम से उन्होंने भगवान के चरित्र, दर्शनीयता और नैतिकता को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया। तुलसीदास की लेखनी में सुख-सामृद्धि की भावना को मोखिक हिंदी में प्रस्तुत किया गया है। उनके रचनात्मक अभिव्यक्ति का नया दिशा मिलाने वाला यह परिणामकारी परियोजना ‘रामचरितमानस’ ने साहित्यिक जगत में एक नयी दिशा की शुरुआत की।

तुलसीदास जी के आदर्श, उनके सिद्धांत और उनकी रचनाएँ हमें आदर्श जीवन की दिशा में प्रेरित करती हैं। उनके जन्म दिवस पर, हम उनकी महत्वपूर्ण यादें ताजगी से दोबारा याद करते हैं और उनके संदेशों को हमारे जीवन में अपनाने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

इस तुलसीदास जयंती पर, हमें उनके योगदान की महत्वपूर्णता को समझकर उनकी रचनाओं का सम्मान करना चाहिए। उनका संदेश आज भी हमें एक सशक्त और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करता है। तुलसीदास जी की जयंती पर हमें उनकी महत्वपूर्ण यादों को याद करते हुए उनके उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाने का संकल्प लेना चाहिए।