गीता के दूसरे अध्याय में प्रस्तुत किए गए सन्देश …. कर्म का पालन व् फल की चिंता नहीं करने के कृष्ण के आदेश !

भगवद गीता के दूसरे अध्याय में प्रस्तुत किए गए महत्वपूर्ण संदेशों का संक्षेप निम्नलिखित है:

कर्म का महत्व: दूसरे अध्याय में कर्म के महत्व को बड़ी श्रद्धा और समर्पण के साथ बताया गया है। यहाँ श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कर्मयोग के माध्यम से कर्म का महत्व और उसके सही तरीके से करने की दिशा में सिखाया है।

त्याग का संदेश: इस अध्याय में त्याग के महत्व को भी उजागर किया गया है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से वैराग्य और त्याग के माध्यम से सुख-दुख को पार करने का उपाय बताया है।

समता का संदेश: दूसरे अध्याय में समता के महत्व को बड़ी महत्वपूर्णता दी गई है। यहाँ पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन से समता भाव से सभी परिस्थितियों का सामना करने का उपाय बताया है।

आत्मा की अद्वितीयता: इस अध्याय में आत्मा की अद्वितीयता और अमरता का संदेश भी दिया गया है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से आत्मा की अनन्तता और नित्यता के बारे में बताया है और यह समझाया कि आत्मा केवल शरीर के अतीत होती है।

भक्ति का मार्ग: दूसरे अध्याय में भक्ति के मार्ग का भी वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से भक्ति और समर्पण के माध्यम से भगवान की आराधना करने का मार्ग दिखाया है।

कर्मफल से आसक्ति का त्याग: इस अध्याय में कर्मफल से आसक्ति के त्याग की महत्वपूर्णता को बताया गया है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कर्म का पालन करते समय उसके फल की चिंता नहीं करने की आवश्यकता को समझाया है।

भगवद गीता के दूसरे अध्याय में ये महत्वपूर्ण संदेश दिए गए हैं, जिन्हें समझकर हम अपने जीवन को और भी संवर्धनशील और सजीव बना सकते हैं।