MP Durga Mata Temple: देश का ह्रदय कहा जाने वाला MP न सिर्फ हिन्दू धर्म से जुड़े हुए मंदिरों के लिए जाना जाता हैं, बल्कि सभी संप्रदाय सभी जाति और समाज के तीर्थ और दर्शनीय स्थलों की मेजबानी भी करता हैं। आज हम आपको देश भर में प्रसिद्ध मां दुर्गा के उन टेम्पलों के विषय में जानकारी देने जा रहे हैं। जहां उन शक्तिशाली देवियों का इतिहास गड़ा हुआ हैं कहें की उनका गढ़ वहां स्थापित हैं। सभी भक्तों द्वारा मात के दर्शन हेतु दूर दूर से यहां भ्रमण किया जाता हैं। साथ ही देवी से अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु अर्जी लगाई जाती हैं।
दतिया का रतनगढ़ माता मंदिर
चलिए सबसे पहले बात करते हैं दतिया के प्रसिद्द मंदिर की, दरअसल दतिया जिले से तक़रीबन 60 किलोमीटर दूर रतनगढ़ माता मंदिर देश भर में काफी ज्यादा लोकप्रिय है। आपको बता दें कि मां दुर्गा का यह अद्भुत मंदिर सिंध नदी के तट पर स्थित है। साथ ही ऐसी कहावत प्रचलित है कि जो भी श्रद्धालु यहां सच्चे ह्रदय से अर्जी लगाता है, तो मां दुर्गा उसकी विनती अर्थात उसकी मन्नत अवश्य ही पूरी करती हैं।
सीहोर का बिजासन माता मंदिर
अब आगे बात करते हैं राजधानी भोपाल से 70 किमी की दूर सीहोर जिले में स्थापित बिजासन माता मंदिर प्रदेश का मुख्य टूरिस्ट प्लेस है, जो सलकनपुर में स्थित है। यहां फेस्टिवल्स पर हजारों भक्तों की भारी तादाद में भीड़ उमड़ती है।
उज्जैन का हरसिद्धि दुर्गा मंदिर
अब बात करते हैं सबसे प्रसिद्द मंदिर की, उज्जैन के इस मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। मंदिर में दो अद्वितीय देवदार आकार के लोखंड के दीप बने है। हरसिद्धि दुर्गा मंदिर प्राचीन शहर क्षिप्रा नदी के पूर्वी तट पर विकसित है।
निवाड़ी का अचरू माता मंदिर
आगे आपको बता दें कि निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर में विकसित अचरू माता मंदिर भारत के सबसे जुने मंदिरों में से एक है। साथ ही प्रदेश के लोकप्रिय मंदिरों में भी शुमार है। यह मंदिर जिलामुख्यालय से 40 किमी की दूरी पर स्थापित है। वहीं यहां आप बस या अपने प्राइवेट व्हीकल से बड़ी आसानी से सफर कर सकते है।
कवलका माता मंदिर, रतलाम
अब अंतिम और सबसे लोकप्रिय मंदिरों में शामिल कवलका माता के अद्भुत मंदिर की बात करें तो, रतलाम में स्थापित कवलका माता मंदिर तक़रीबन 300 वर्ष पुराना है।साथ ही कहा जाता है कि यहां विराजमान मां कवलका, मां काली और काल भैरव की प्रतिमाएं मदिरे का सेवन करते हैं। वहीं मां को खुश करने के लिए श्रद्धालु मदिरा का प्रसाद लगाते हैं। यह मंदिर जिलामुख्यालय से 32 किमी की दूरी स्थित है।