Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार इन लोगों पर भूलकर भी न करें विश्वास, जीवन के हर मोड़ पर मिलता हैं फरेब

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य बहुत ही ज्यादा चतुर, बुद्धिमता में महारथ हासिल और कुशल राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने अपनी नीतियों में न केवल मनुष्य को सक्सेस हासिल करने के अनेकों रास्ते बताए हैं, बल्कि इनके माध्यम से समाज का कल्याण भी किया है। आज भी उनकी रणनीति पूरी दुनिया में विख्यात है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के आधार पर एक साधारण बालक चंद्रगुप्त को मधग का सम्राट बना दिया था। उन्होंने अपने नीतिशास्त्र में निजी जीवन, नौकरी, व्यापार, रिश्तें, मित्रता, शत्रु आदि जीवन के अनेकों पहलुओं पर अपने विचार साझा किए हैं। चाणक्य नीति कहती है कि इंसान का जीवन बेहद अनमोल है। इस जीवनकाल को यदि कामयाब और सार्थक बनाना है, तो प्रत्येक इंसान को कुछ चीजों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। साथ ही आचार्य चाणक्य
ने अपनी नीतियों में भूलकर भी ऐसे लोगों पर भरोसा न करने की हिदायत दे डाली।

झूठा मित्र

दरअसल चाणक्य की नीतियों के अनुसार मित्रता भी सोच समझकर ही करनी चाहिए। विशेषकर, कस्टभरे दिनों में काम न आने वाले मित्रों और बुरे हालातों में बहाना बनाने वाले मनुष्य से तो दुरी ही बनाए रखना चाहिए। साथ ही मिथ्यावादी और संकट के समय में पीठ दिखाने वाले में दोस्त पर कभी गलती से भी विश्वास नहीं करना चाहिए। ऐसे मित्रों से जीवन में हर पल चल कपट दुख और फरेब ही मिलता है।

छल करने वाला सेवक

आचार्य चाणक्य के मतानुसार लुच्चे और दुष्ट सेवक कभी भी अपने मालिक का अच्छा नहीं चाहता है। ऐसे लोग धोखेबाज और दुष्ट प्रवत्ति के होते हैं। ये सदैव अपने हित के विषय में ही सोचते रहते हैं। इसके लिए मालिक को हर वक़्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यदि आपके घर में भी कोई घुमाने-फिराने (बहाने बनाने वाला) बनाने वाला या चालाक नौकर है, तो सतर्क रहें। ऐसे लोगों पर कतई विश्वास न करें है।

दुराचारी जीवन संगिनी

बुद्धिमान आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि आपकी शादी हुक्म मानने वाली और आज्ञा मानने वाली लड़की से हो जाए, तो पृथ्वी लोक पर ही स्वर्ग के बराबर सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं, यदि बातों को समझने वाली और गुणवान बीवी नहीं मिलती है, तो मनुष्य का जीवन जहन्नुम समान हो जाता है। ऐसी स्त्री कभी भी अपने कूल का हित नहीं कर सकती और न ही परिवार की भलाई सोचती है। दुराचारी जीवन संगिनी पर भूलकर भी विश्ववास नहीं करना चाहिए।