स्वतंत्र समय, भोपाल
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि आज सनातन धर्म को चोंट पहुचाने का कार्य किया जा रहा है। इस देश में भगवान श्री राम को गाली देने वाले पैदा हो गए हैं तो यह कैसे स्वीकार किया जा सकता है। उन्होंने रविवार को जयपुर में मीडिया संवाद द्वारा आयोजित भारतीय युवा संसद के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोग फख्र से यह कह रहे हैं कि हमारा इंडिया गठबंधन इसीलिए बना है कि हम सनातन धर्म को समूल नष्ट कर देंगे। सबसे ज्यादा राजनीतिक, सांसकृतिक, भौगोलिक हमले अगर धरती पर हुए हैं तो वह भारत पर हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी हमारे सनातन धर्म का कोई बाल भी बांका नहीं कर सका, इसलिए आज भी किसी में इतनी क्षमता नही है कि वह सनातन धर्म पर आंच भी ला सके। गौतम ने युवा संसद में प्रतिभागी छात्रों के सवालों के जवाब दिए और उनका मार्गदर्शन भी किया। युवा संसद में सत्र का विषय ‘ सतत विकास लक्ष्यों पर लोकतंत्र, शांति और वितरण के लिए मीडिया स्वतंत्रता का महत्व’ था। श्री गौतम ने मुख्य अतिथि के रूप में सत्र को संबांधित करते हुए कहा कि कानून कैसा भी हो समाज में उसके प्रति सजगता, स्वीकार्यता नहीं होगी उसका बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं हो सकता है। इसलिए आवश्यक है कि हम अपने संविधान, अपने कानून के प्रति समाज में जागरूकता पैदा करने का काम करें।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह अवरोध अधिनियम 1929 में आया था लेकिन उसका पालन हमारे देश में लंबे समय तक नहीं हो सका क्योंकि समाज में उस कानून के प्रति जागरूकता और स्वीकार्यता नहीं थी। लेकिन अब जब समाज ने यह देखा कि बाल विवाह ठीक नहीं है तो आज बाल विवाह रोकने में 80 प्रतिशत सफलता प्राप्त कर ली है। इसलिए कानून से ज्यादा इस दिशा में समाज की जागरूकता ने अपना काम किया है। श्री गौतम ने कहा कि हमारे संविधान में यह व्यवस्था है कि अदालत जजमेंट करती है, जस्टिस नहीं करती है। हमारे यहां न्याय नहीं कानून के माध्यम से कार्य होता है। सबूत के आधार पर अदालत कानून के आधार पर दोषी को सजा देता है। इसलिए कोई कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो वह कानून के खिलाफ नहीं जा सकता है।
श्री गौतम ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज हम इंटरनेट युग में है। अब देखिए हमारी यहां से न्यूयार्क की दुरी एक सेंकंड की है। एक क्लिक से आप वहां की हर स्थिति देख सकते हैं। लेकिन समस्या यह है कि हम अपने भारतीय मूल्यों को भूलते जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर तो हमारे हजारों फॉलोअर हैं, लेकिन जहां हम रहते हैं वहां के अड़ौसी-पड़ौसी को हम पहचानते नहीं हैं। हमारी भारतीय परंपरा केवल शिक्षा की नहीं है बल्कि ज्ञान और विद्या है। शिक्षा से हम केवल नौकरी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन ज्ञान से हम नौकरी देने वाले बन सकते हैं। मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक श्री आशुतोष जोशी ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं संस्थान के उद़देश्यों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर कई वरिष्ठ पत्रकार, शिक्षाविद एवं युवा छात्र उपस्थित थे।