नए संसद में ‘महिला आरक्षण बिल पेश’, नारी शक्ति वंदन अधिनियम मिला नाम

आज कार्यवाही नई संसद में शुरू हुई। नए संसद में पहली बार महिला आरक्षण बिल पेश, ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम रखा गया। महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए।

सदन में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग था। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था।

तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से अभी तक महिला आरक्षण बिल पेंडिंग था।

सभी सांसद पुराने संसद भवन से नए संसद भवन में

आज कार्यवाही नई संसद में शुरू हुई। इससे पहले नए संसद भवन के उद्धघाटन पर बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी -‘आज हम सब मिलकर नए संसद भवन का श्री गणेश करने जा रहे है, नया संसद भवन एक प्रकार से हमारी भावनाओ से भरा हुआ है हमे भावुक भी करता है और हमे हमारे कर्त्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है आजादी के पूर्व ये खंड एक प्रकार से एक प्रकार से लाइब्रेरी के रूप में भी प्रेरित करता है। संसद ने बीते वर्षो में ट्रांसजेंडर को कानून देने वाले विषयों पर भी चर्चा की।