Pitru Paksha 2023: कल से प्रारंभ होगा श्राद्ध पक्ष, रूठे पितरों को मनाने के लिए इस तरह करें पिंडदान, बरसेगी पूर्वजों की असीम कृपा

Pitru Paksha 2023: आज अनंत चतुर्दशी पर भगवान श्री गणेश को जहां एक तरफ नम आँखों के साथ विदाई दे दी हैं। वहीं पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ विसर्जन कर दिया गया हैं। इसी के साथ 10 दिवसीय गणेशोत्सव की धूम भी समाप्त हो गई हैं। अब कल से पूर्णिमा के साथ आगाज होगा पितृपक्ष का। दरअसल हिंदू धार्मिक ग्रंथों के आधार पर श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों को पूजने एवं दान धर्म करके उन्हें तृप्ति दिलवा कर विदा देने की विशेष परंपरा का उल्लेख किया गया है। इसी के साथ शास्त्रों में वर्णित पितृ पक्ष का काफी ज्यादा और बेहद महत्वपूर्ण अर्थ बतलाया गया हैं। असल ने इसी हिंदू मान्यता प्रचलित हैं कि इस दिए किए गए दान धर्म तर्पण कीर्तन और पिंड दान से हमारे रूठे अर्थात नाराज पूजनीय पूर्वजों को संतुष्टि मिलती हैं।

धार्मिक ग्रंथों के आधार पर, हमारे पितृ यदि रुष्ट हो जाएं तो हमारे घर परिवार की उन्नति पर ग्रहण लग जाता हैं। बिजनेस में अनेकों तरह के विघ्न उत्पन्न होने लगते हैं। यही वजह है कि पितृ पक्ष में अपने घर के स्वर्गीय पूर्वजों को प्रसन्न कर उनकी आत्मा को शांति दिलाने से वो आपको आशीर्वाद देकर भूमि से अपने लोक को प्रस्थान कर जाते हैं। इस हेतु दान कर्म का खास अर्थ बताया गया हैं। आपको बता दें कि पितृ पक्ष का प्रारंभ आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। जोकि अमावस्या तिथि तक रहता है। इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहा है और इसकी समाप्ति 14 अक्टूबर को होगी।

साथ ही साथ यह भी मान्यता है कि पितृ पक्ष में तर्पण और पिंड दान करने से हमारे मृत पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती हैं और स्नेह आशीष के साथ हमारे भाग्य के बंद दरवाजे भी खोलती हैं। कहा जाता हैं कि जिसपर अपने पितरों की कृपा हो गई उसका तो मानो जीवन ही तर जाता हैं

हमारे पूर्वजों को पूर्णतया समर्पित यह पक्ष कल से शुरू हो रहा हैं।

पितृपक्ष का आशय श्राद्ध से हैं। जिसका हिंदू धर्म में एक अलग महत्व होता है। पितृ पक्ष जब शुरू होते हैं तो प्रत्येक मनुष्य अपने पूर्वजों के प्रति अपने प्रेम और आस्था को जाहिर करता है। आपको बता दें कि श्राद्ध का अभिप्राय श्रद्धा यानी आस्था और विश्वास से होता है। इस महीने में हमारे पूर्वज गण अपनी संतानों पर परम स्नेह बरसाते है। इसी के साथ आपको बता दें कि श्राद्ध के समय अपने पितरों को तर्पण देने और श्राद्ध से संबंधित कर्म करने से संतान को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बीच न सिर्फ पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उनके प्रति अपना प्रभाव रिस्पेक्ट और इज्जत जाहिर करने के लिए भी किया जाता है। आइए जानते हैं साल 2023 में श्राद्ध की शुरुआत कब से हैं , चलिए जानते हैं इसकी पूरी लिस्ट के विषय में विस्तार के साथ।

श्राद्ध मास का पूरा कैलेंडर

  • 30 सितंबर 2023, शनिवार: द्वितीया श्राद्ध
  • 01 अक्टूबर 2023, रविवार: तृतीया श्राद्ध
  • 02 अक्टूबर 2023, सोमवार: चतुर्थी श्राद्ध
  • 03 अक्टूबर 2023, मंगलवार: पंचमी श्राद्ध
  • 04 अक्टूबर 2023, बुधवार: षष्ठी श्राद्ध
  • 05 अक्टूबर 2023, गुरुवार: सप्तमी श्राद्ध
  • 06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: अष्टमी श्राद्ध
  • 07 अक्टूबर 2023, शनिवार: नवमी श्राद्ध
  • 08 अक्टूबर 2023, रविवार: दशमी श्राद्ध
  • 09 अक्टूबर 2023, सोमवार: एकादशी श्राद्ध
  • 11 अक्टूबर 2023, बुधवार: द्वादशी श्राद्ध
  • 12 अक्टूबर 2023, गुरुवार: त्रयोदशी श्राद्ध
  • 13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: चतुर्दशी श्राद्ध
  • 14 अक्टूबर 2023, शनिवार: सर्व पितृ अमावस्या

पितृ पक्ष में कैसे करें पितरों को याद

चलिए आगे आपको बता दें कि आपको पितरों की कृपा कैसे प्राप्त करनी हैं। वहीं पितृ पक्ष में आपको अपने पितरों को डेली जल समर्पित या चढ़ाना हैं। यह जल दक्षिण की तरफ मुख करके दोपहर के वक़्त जल को चढ़ाएं। जल में काले तिल मिलाए साथ ही अपने हाथ में कुश रखा जाता है। जिस दिन पूर्वज के स्वर्गवास की तिथि होती है, उस दिन अनाज और वस्त्र का दान जरूर किया जाता है। उसी दिन किसी गरीब को एक समय का खाना जरूर खिलाए। इसके बाद पितृपक्ष की तिथि समाप्त हो जाएगी।

पितृ पक्ष तिथि

प्रतिपदा तिथि का आगाज- सितंबर 29, 2023 को रात्रि 03:26 बजे से
प्रतिपदा तिथि का समापन- सितंबर 30, 2023 को रात्रि 12:21 तक