स्वतंत्र समय, श्रीधाम
विगत दिवस समीपवर्तीधार्मिक स्थल परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर स्थित मेला ग्राउंड में ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सुनते हुए परमाराध्य परमधर्माधीशउत्तराम्नाय ज्योतिष् पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमपूज्य शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराजजी ने अपनी अमृत मय वाणी से धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहाकि जन्म जिसका होता है उसकी मृत्यु निश्चित रूप से होती है पर जिसका जन्म ही नहीं उसकी मृत्यु कैसे ?श्रीमद्भागवत महापुराण को सुनने पर यह बात स्पष्ट रूप से पता चल जाती हैकि जन्म हमारा नहींहमारे शरीर का हुआ है,इसलिए शरीर की मृत्यु हो सकती है पर हमारी अर्थात् आत्मा की मृत्यु कभी नहीं होती क्यों कि आत्मा न तो जन्मता है और न ही मरता है,इसलिए हम सबको इतना जान कर मृत्यु से निश्चिन्त हो जाने की आवश्यकता है क्योंकि हमारा जन्म ही नहीं हुआ आगे पूज्य महाराजश्री ने कहाकि संसार के समस्त व्यक्तियों का जीवन जन्म से आरम्भ होकर मृत्यु पर्यन्त जाता है परन्तु जो व्यक्ति श्रीमद्भागवत महापुराण का आश्रय लेता है उसका आरम्भ तो जन्म से होता है पर मुक्ति में उसका पर्यवसान होता है,उन्होंने मुकुन्द शब्द की व्याख्या करते हुए कहाकि मुकुं ददाति इति मुकुन्द:।मुकु माने जो मुक्ति को दे वही मुकुन्द परमहंसी परिसर स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर में परमाराध्य शंकराचार्य जी ने अनन्त भगवान् की सविधि पूजा की,उपस्थित सभी भक्तों को मालपूआ और अनन्त व्रत का सूत्र प्रदान किया गया,
आयोजित होगा ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर सद्गुरुदेव भगवान् का वार्षिक समाराधना कार्यक्रम: आश्विन कृष्ण द्वितीया तदनुसार 1अक्टूबर को ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर सद्गुरुदेव भगवान् की वार्षिक समाराधना का आयोजन सम्पन्न होगा। इस दिन संन्यासी भिक्षा, 1600 ब्राह्मण भोजन आदि अनेक कार्यक्रम सम्पन्न होंगे।
शंकराचार्य सेवा सम्मान से विभूषित:- सीतास्वरूप ब्रह्मचारीजी भवानन्द ब्रह्मचारीजी अनिल पाटिल पुणे श्रीमती श्रेया उपाध्याय गोपी पटेल आनन्द एस ए जी नरेन्द्र सोनी रमेश पटेल सुशील सोनी नारायणसिंह पटेल प्यारेलाल बिलवार के अलावा वहीं दूसरी ओर चातुर्मास्य व्रत में सेवा करने वाले विनोद सोलंकी और परशुराम गोड़ हैदराबाद संतोष मंडल श्रीराम चौबे अनूपसाहू राजूसेन अजय विश्वकर्मा सहित् अनेक भक्तों को परमाराध्य ने चातुर्मास्य सेवा सम्मान से सम्मानित किया,पूज्यपाद शङ्कराचार्यजी के प्रवचन के पूर्व परमपूज्य शङ्कराचार्यजी महाराज भागवत कथा पंडाल पर दोपहर 3:30 बजे पर पहुंचे जहाँ पर संस्कृत विद्या पीठ गुरुकुल एवं बनारस में अध्ययन रत छात्रों के द्वारा पूज्य शंकराचार्यजी महाराज का हर हर महादेव एवं जय गुरुदेव के जयघोष के साथ स्वागत किया पूज्य महाराजाश्री ने मंच पर पहुंचतेही सर्वप्रथम ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराजजी के तैलचित्र पर पूजन अर्चन किया उसके उपरांत वह व्यासपीठ पर आसीन हुए जहां पर श्रीमद भागवत कथा के यजमानों ने पादुका पूजनकर आशीर्वाद लिया,मंच पर प्रमुख रूप से शंकराचार्यजी महाराज के निजी सचिव चातुर्मास्य समारोह समितिअध्यक्ष ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्दजी ज्योतिष्पीठ पं.आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्रीजी ज्योतिष पीठ शास्त्री पं.राजेन्द्र शास्त्रीजी, दंडी स्वामी श्री अम्बरीशानन्दजी महाराज ब्रह्मचारी आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए,मंच पर प्रमुखरूप से पूज्यपाद शंकराचार्यजी की पूर्णाभिषिक्त शिष्या साध्वी पूर्णाम्बा एवं साध्वी शारदाम्बा परमहंसी गंगा आश्रम व्यवस्थापक सुंदरपांडे ब्रह्मचारी मुकुंदानंदजी ब्रह्मचारी राघवानंदजी ब्रह्मचारी परमात्मानंदजी उपस्थित रहे मंच का संयोजन श्री अरविन्दमिश्र एवं संचालन राजकुमार तिवारी ने किया कार्यक्रम में मुख्यरूप से ब्रम्हचारी विमलानंदजी पं.आनंद तिवारी अन्नूभैया जगद्गुरुकुलम् संस्कृत विद्यापीठ प्रधानाचार्य पद्मनाभर्ध द्विवेदी उप प्रधानाध्यापक शारदानंद द्विवेदी सोहनतिवारी माधव शर्मा रघुवीर प्रसाद तिवारी राजकुमार तिवारीदीपक शुक्ला अमिततिवारी पुरसोत्तम तिवारी आशीष तिवारी बद्रीचौकसे नारायण गुप्ता अरविंद पटैल अजय विश्वकर्मा सत्येंद्र मेहरा मनोज यादव कपिल नायक सहित श्रीमद भागवत पुराण में बड़ी संख्या में गुरुभक्तों व श्रद्धालु बधुओ ने उपस्थित होकर सभी ने कथा का रसपान कर अपने मानव जीवन को धन्य बनाया भागवत भगवान की कथा आरती के उपरांत महाभोग प्रसाद का वितरण किया गया चातुर्मास्य के अवसर पर पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज का गीता पर प्रवचन प्रात:7.30 से 8.30 बजे तक भगवती राजराजेश्वरी मन्दिरजी में होता है।