स्वतंत्र समय, ललितपुर
इन्टैक ललितपुर चैप्टर व नालंदा डिजिटल लाइब्रेरी के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पर्यटन दिवस पर पर्यटन को और अधिक टिकाऊ तथा पर्यावरण के अनुकूल बनाने के महत्व पर जोर देते हुये इस वर्ष के विषय पर्यटन और हरित निवेश पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका शुभारम्भ राज्यमंत्री मनोहरलाल, शिक्षक विधायक बाबूलाल तिवारी एवं जिला पंचायत अध्यक्ष कैलाश नारायण ने करते हुये बुन्देलखण्ड के पर्यटन विकास का संकल्प लिया। इस अवसर पर राज्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा पर्यटन के विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है, सरकार द्वारा इसे उद्योग का दर्जा दिया गया है जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन के माध्यम से रोजगार की सम्भावनाओं को बढ़ाया जा सके। उन्होंने ललितपुर एवं बुन्देलखण्ड के पर्यटन को विश्व स्तर पर प्रचारित करने में इन्टैक के प्रयासों की सराहना की। शिक्षक विधायक ने कहा कि बुन्देलखण्ड युगों से साहित्य संस्कृति और कला के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, बात चाहे महर्षि वेदव्यास द्वारा महाभारत लिखने की हो या फिर महाकवि तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस रचने की सभी की तपोस्थली यही है जहां आल्हा ऊदल एवं महाराजा छत्रसाल ने पराक्रम का इतिहास रचा वहीं महारानी लक्ष्मीबाई, महाराजा मर्दन सिंह, क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद की कर्मभूमि रही यह मिट्टी स्वतंत्रता के बाद उपेक्षित एवं विस्मृत होती चली गयी। सरकारें आयीं गयीं लेकिन यहां की तस्वीर नहीं बदली, यहां की भूमि को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बांट दिया गया, अब यदि हम यहां का सम्पूर्ण विकास चाहते हैं तो हम सभी को मिलकर बुन्देलखण्ड राज्य का सपना साकार करने के लिये सम्मिलित प्रयास करने होंगे। जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि यह हम सबका सौभाग्य है कि हमारा जनपद न केवल प्राकृतिक रूप से समृद्ध है बल्कि हमारे पास गौरवशाली प्राचीन धरोहरें भी हैं, पर्यटन के कई रमणीय ऐतिहासिक स्थलों को समेटे ललितपुर जल्दी ही विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ेगा। इन्टैक संयोजक सन्तोष कुमार शर्मा ने कहा कि विश्व पर्यटन दिवस 2023 को मनाते हुये सम्पूर्ण विश्व में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि कैसे पर्यटन को उद्योग मानते हुये इसे पर्यावरण के अनुकूल विकसित किया जाये। ललितपुर हो या समूचा बुन्देलखण्ड यहां पर्यटन स्थलों की समृद्ध विरासत है जिसे देखने विश्व के तमाम देशों से सैलानी आते हैं। यदि सरकार द्वारा यहां के पर्यटन स्थलों को विकसित कर मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराये व प्रचार-प्रसार हो तो निश्चय ही बुन्देलखण्ड भी उत्तराखण्ड, हिमांचल प्रदेश की तरह एक बड़ा राजस्व अर्जित कर प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में अपना अमूल्य योगदान दे सकता है।