स्वतंत्र समय, भोपाल
मध्य प्रदेश में भाजपा इस बार विधानसभा चुनाव किसी भी सूरत में हारना नहीं चाहती, यही कारण है कि प्रदेश स्तर से लेकर केंद्रीय नेतृत्व लगातार एड़ी-चोटी का जोर यहां लगा रहा है। इस चुनावी साल में पीएम मोदी भी लगातार मप्र के दौरा कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पार्टी को सर्वे से पता चला है कि भाजपा बहुमत से लगभग 20 सीटें पीछे है। इसके चलते भाजपा नेतृत्व हारी हुई सीटों पर बड़े नेताओं को उतारकर इन सीटों को जीतकर यह कमी दूर करना चाह रही है। खासतौर पर ग्वालियर-चंबल अचंल में भाजपा के दिग्गज नेताओं की परीक्षा है कि वे पार्टी को संकट से निकाल पाएंगे, या खुद संकट में फंसेंगे।
मालवा और बुंदेलखंड के बाद अब पीएम मोदी चंबल का दौरा करने जा रहे हैं। मप्र के सबसे बड़े राजनैतिक केंद्र ग्वालियर चंबल में पार्टी को मुसीबत से निकालने के लिए 2 अक्टूबर को पीएम मोदी नेताओं को जीत का मंत्र देंगे, लेकिन पीएम मोदी के दौरे को लेकर यही सवाल उठा रहा है कि अमित शाह के बाद क्या मोदी अंचल में भाजपा को मुसीबत से निकाल पाएंगे। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के मौके पर ग्वालियर चंबल अंचल में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार दौरे पर आ रहे हैं। इससे पहले राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दो बार दौरे कर चुके हैं।
अभी हाल में ही वह प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल हुए और ग्वालियर चंबल अंचल में चल रही गुटबाजी और नाराजगी को दूर करने के लिए नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत की। लेकिन अमित शाह के दौरे के बाद भी यहां पर बीजेपी के लिए कोई अनुकूल स्थिति नहीं बन पाई है और लगातार पार्टी के नेताओं में आपसी खींचतान कार्यकर्ताओं में नाराजगी पार्टी के लिए एक बड़ा सिर दर्द बन चुकी है। यही कारण है कि अंचल के दोनों दिग्गज सिंधिया और तोमर के अलावा कई ऐसे बड़े नेता हैं जो यहां पर लगातार दौरा कर आपसी सामंजस बैठने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी के नेताओं की यह मेहनत और रणनीति काम आती नहीं दिखाई दे रही है। इसलिए पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की नजर अब ग्वालियर चंबल अंचल पर है।
ग्वालियर – चंबल में हैं भाजपा के ज्यादातर बड़े नेता
भाजपा को पता है मध्य प्रदेश में सत्ता का रास्ता ग्वालियर चंबल और मालवा- निमाड़ से होकर गुजरता है। मालवा निमाड़ में उसकी स्थिति ठीक है, लेकिन ग्वालियर – चंबल में खस्ताहाल। जबकि मप्र में उसके बड़े नेता इसी अंचल में ज्यादा हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना से सांसद हैं, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा मुरैना जिले के ही मूल निवासी हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर राजमहल के हैं, तो वहीं प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी ग्वालियर जिले के डबरा के हैं। ये चारों मप्र में सीएम पद के दावेदार भी हैं। पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में इसी ग्वालियर चंबल अंचल के कारण भाजपा को मध्य प्रदेश से अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। ग्वालियर चंबल अंचल की 34 सीटों में से महज 6 सीटों पर बीजेपी जीत पाई और 26 सीट जीतकर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में सत्ता हासिल की थी। बीजेपी को अब यही डर है कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव जैसे हालत फिर से ग्वालियर चंबल चंचल में ना हो जाए। यही कारण है कि बीजेपी मध्य प्रदेश के बाकी इलाके से ग्वालियर चंबल अंचल में एड़ी और चोटी का जोर लगा रही है।