स्वतंत्र समय, इंदौर
देश -भर में मशहूर महाकाल मंदिर इस सीट के तहत आता है और यहां से सात बार चुनाव लड़ कर छह बार विधायक बने व्यक्ति का वजन भी समझा जा सकता है। पारस जैन इसी वजह से अपनी पार्टी में पहलवान के नाम से मशहूर हैं। बताया जा रहा है कि बहुत संभव है कि भाजपा उन्हें ही इस बार आजमाए। हालांकि संकट अपनों से है और पार्टी कार्यकर्ता सधने को तैयार नहीं हैं। भाजपा की दो सूचियां जारी हो गई हैं, लेकिन उज्जैन उत्तर के प्रत्याशी के नाम की घोषणा में आलाकमान में हिचकिचाहट है।
कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी के पुस्तिका बंटवाने से मुस्लिम समाज नाराज
दूसरी ओर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार ने एक पुस्तिका बंटवाकर खुद के लिए ही मुसीबत मोल ले ली। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी विवेक यादव ने कुरआन की आयत की एक पुस्तिका छपवाई और इसमें अपना व पार्टी का फोटो छपवा दिया। इससे मुस्लिम समाज खासा नाराज है। मामला थाने पहुंच चुका है। ऐसे में कांग्रेस जो इस बार बेहद ताकत से चुनाव लडऩे पर आमादा है, उसे ऐनवक्त पर अपने संभावित प्रत्याशी को दरकिनार करना पड़ सकता है।
पहलवान के साये में भाजपा का गढ़ रहा उज्जैन उत्तर
उज्जैन उत्तर पारस जैन यानी पहलवान के साये में भाजपा का गढ़ बना हुआ है। वे सात बार यहां से रण संभाल चुके हैं और छह बार विधायक रह चुके हैं। भाजपा को अभी तक उनका विकल्प नहीं मिला है। हालांकि इस बार पहलवान के सामने अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों से चुनौती मिल रही है। उनकी इस सीट से चुनाव लडऩे के लिए कई चेहरे तैयार हैं। पहलवान उन्हें समझाने-बुझाने में लगे हैं ताकि चुनावी रण में विभाजन नहीं हो।
20 साल से कांग्रेस जीत को तरस रही
भाजपा के इस गढ़ में कांग्रेस को पिछली बार कमलनाथ के नेतृत्व में खाता खुलने की उम्मीद जागी थी लेकिन पारस जैन ने कांग्रेस प्रत्याशी महंत राजेंद्र भारती को 25 हजार से ज्यादा वोटों से पराजित किया था। हालांकि 2020 में सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के साथ ही महंत राजेंद्र भारती भी अब भाजपा का ही हिस्सा हैं। ऐसे में कांग्रेस को अब यहां नए सिरे से उम्मीदवार की खोज करना होगी। 1998 में पारस जैन के पराजय के चलते कांग्रेस को यहां खाता खोलने का मौका मिला था।
1990 से पारस पर भरोसा
भाजपाई काबिना मंत्री तक का दर्जा प्राप्त कर चुके पारस जैन को पहली बार इस सीट से 1990 में पार्टी ने आजमाया था। उस समय यह सीट कांग्रेस के पास थी और बटुक शंकर जोशी विधायक थे। जैन ने रणनीतिकारों को हैरत में डालते हुए इस सीट पर जीत दर्ज की। इसके बाद से तो पहलवान की चल पड़ी। 1998 में उनकी हार के बावजूद पार्टी ने 2003 में उनके लिए टिकट तैयार रखा और वे तब से आज तक इस सीट पर विधायक हैं। पिछले चुनाव की बात करें तो पारस जैन ने महंत राजेंद्र भारती को 25724 वोओं से हराया था। उन्हें 57.72 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुआ था। पिछली बार सीट पर 65 फीसदी मतदान हुआ था।
पारस के अलावा ये दावेदार
इस बार पारस के अलावा भाजपा आलाकमान के पास कई विकल्प हैं। संभव है कि भाजपा किसी नए चेहरे को इस सीट से उतारे। असल में भाजपा कांग्रेस की सूची के इंतजार में है और उम्मीदवार के हिसाब से चेहरा तय करने के मूड में अधिक है। अनिल, सोनू और विभास फिलहाल इस सीट से सक्रिय नेता हैं। इन तीनों नेताओं की पकड़ इस विधानसभा क्षेत्र में जबरदस्त है। अनिल करीब तीन बार से इस सीट से चुनाव लडऩे की अपनी इच्छा जता चुके हैं लेकिन हर बार पार्टी ने मायूस किया है।
कांग्रेस की ओर से इनका दावा
इस बार उज्जैन उत्तर से कांग्रेस की ओर से दो महिलाएं अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। इसमें माया त्रिवेदी और नूरी खान है। इसके अलावा क्षेत्र में युवाओं के पसंदीदा बने युवा नेता विक्की यादव और भरत शंकर जोशी भी दावेदारी जता रहे हैं। दोनों क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय हैं और भाजपा के खिलाफ आंदोलन करते रहते हैं।
ब्राह्मण वोटर करते हैं कमाल
महाकाल का डंका पूरे देश-दुनिया में बजता है और वह इस सीट के अंतर्गत आती है। श्री महाकालेश्वर मंदिर के साथ ही कई मंदिर हैं। उज्जैन उत्तर सीट को ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है और जो इन्हें साध ले सीट उसकी। हालांकि, इस सीट पर बड़ी तादाद में मुस्लिीम वोटर्स भी हैं।