स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर 1 से विधानसभा चुनाव की ताल ठोंक रहे भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अब पार्टी से परे पारिवारिक भूमिका भी निभाते नजर आ रहे हैं। बुधवार को लाड़ली बहना कार्यक्रम में वे राजनीतिक के साथ ही एक भाई के तौर पर बहनों को संबोधित करते दिखे थे। उन्होंने इस दौरान कहा था कि वे विधायक से बढक़र बड़ी भूमिका में दिखेंगे और जनता की सेवा करेंगे। साथ ही चुनाव लडऩे के दौरान अफसरों की नींद उडऩे की बात भी उन्होंने कही थी। अब गत दिनों पार्टी फोरम के साथ ही संगठन में कैलाश का पारिवारिक रूप सामने आया। पिछले वर्ष पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता की भूमिका निभाने वाले उमेश शर्मा का निधन हार्ट अटैक से हो गया था। ऐसे में उनके परिवार को बेहद कष्टपूर्ण और विकट स्थिति का सामना करना पड़ा।
किस्त बकाया होने पर आगे आए कैलाश
भाजयुमो के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सुमित मिश्रा ने बताया कि भाजपा के एक प्रदेश के नेता के गुजर जाने के बाद उनका परिवार विकट स्थिति से गुजर रहा था। साल भर से फ्लैट की किश्त बाकी थी और फ्लैट छीन जाने का खतरा मंडरा रहा था। कैलाश विजयवर्गीय को जब यह पता चला तो बिना प्रचार-प्रसार उन्होंने स्व. शर्मा के मदद की। स्वर्गीय उमेश जी शर्मा के पुत्र को 25 लाख रुपए का चेक घर पर भिजवाया। यह काम उनके छोटे बेटे कल्पेश विजयवर्गीय ने किया।
चर्चा से मना भी किया
इस दौरान कैलाश विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि बेटा उमेश भले चला गया पर उसका बड़ा भाई अभी जिंदा है, तुम चिंता मत करना। इससे बड़ी बात ये है कि कैलाश जी ने या उनके किसी नजदीकी व्यक्ति ने किसी से इस बात का जिक्र भी नहीं किया। इतना ही नहीं उन्होंने उमेश भैय्या के बेटे वीनू को भी किसी से भी इसकी चर्चा नहीं करने को कहा।
सबका ध्यान रखते हैं
कैलाश अपने मित्र, साथी, सहयोगी, अनुयायी, प्रशंसकों और कार्यकर्ताओं का घर के मुखिया की तरह ध्यान रखते हैं। काकीजी के संस्कारों को जी रहे कैलाश का ये भाव, उनका ये बड़प्पन उनकी ये सोच, उनकी ये उदारता उनको कार्यकर्ताओं के दिल में बैठा देती है।
छात्र राजनीति से सफर शुरू हुआ था
उमेश शर्मा ने शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में रहते हुए ही छात्र राजनीति में प्रवेश कर लिया था। भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे। फिर भाजपा महामंत्री का पद भी संभाला। इसके बाद प्रदेश प्रवक्ता का पद संभाला। प्रदेश के प्रभारी रहे भाजपा महासचिव मुरलीधर राव ने कहा था कि उमेश शर्मा से ही उन्होंने भाषण देना सीखा था। कुछ समय पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपनी किताबों को पुस्तकालय में बदला तब उन्होंने कहा था कि इसका महत्व उमेश ही समझ सकते हैं। उन्हें गुजरात चुनावों के लिए एक जिले का प्रभार भी दिया गया था। इस काम से लौटने के दौरान ही उनका पिछले साल 22 सितंबर को हार्ट अटैक से निधन हो गया था।