स्वतंत्र समय, बैतूल
आज के दौर में हर किसी को सुरक्षा के लिए सिक्यूरिटी की आवश्यकता है घरों में दुकानों में कंपनीयो, होटलो, स्कूलो एवं कालेजों में बिना सुरक्षाकर्मी के स्थिति चोपट हो जाती है, उक्त आवश्यकताओं को देखते हुए जिले में सिक्यूरिटी कंपनी कुकुरमुत्ते सी फैल रही है जिन्हे ना तो शासन से मान्यता प्राप्त है ना ही सिक्यूरिटी का ज्ञान। ड्रेस सिलवाई, मजदूर रखे और खड़े कर दिये प्रतिस्थानो के गेट के सामने। हम बैतूल जिले की ही बात कर रहे है जहा हर दुकानों पर सुरक्षाकर्मी सामान्यत: खड़े नजर आ ही जाते है किन्तु क्या आप जानते है इसमें कितना बड़ा झोलमाल है। शहर में जिस तरह से सिक्यूरिटी कंपनीया संचालित हो रही है उससे तो लगता है कि जिले में बडे बडे कार्यालयों में बैठे शासन के अधिकारियों को ना तो इसका कोई ज्ञान नही है या फिर कोई काम नही करना चाहता या हो सकता है उनके बीच में कोई झोल हो? नही तो क्यों जिले में इतने बड़े पैमाने पर अवैध रूप से सिक्यूरिटी के नाम पर फर्जी कंपनीयो या उचित मापदण्डों को दरकिनार कर कंपनीयों का संचालन किया जा रहा है क्यों इन पर कोई कार्यवाही नही होती। इन कंपनीयों को ना तो शासन के मान्यता प्राप्त है ना सुरक्षाकर्मीयों को ट्रेनिंग की सुलभ व्यवस्था, ना कोई डिसीपिलीन, ना कोई रिकार्ड फिर किस आधार पर इसना संचालन बै रोक टोक हो रहा है समझ से परे है।
पूर्व सैनिक ने दिया कलेक्टर को आवेदन
जिले में चल रही अस्त व्यत सुरक्षा कंपनी के तंग आकर बैतूल निवासी पूर्व सैनिक नरेश मालवीय द्वारा कलेक्टर एवं पुलिस अधिक्षक को आवेदन एवं जॉच की मांग करते हुए अवगत कराया कि किस तरह से जिले में इस तरह फर्जी कंपनीयो का संचालन किया जा रहा है इस कंपनीयो के पास ना तो कंपनी संचालन का लाईंसेस है ना उचित मानक में कार्य कर रही है पूर्व सैनिक द्वारा बताया गया कि जिले में 200 से अधिक ऐसे सुरक्षाकर्मी काम कर रहे है जिन्हे ना तो प्रापर ट्रेनिंग दी गई है ना ही पुलिस वेरिफिकेशन ना फिटनेश और ना ही मेडिकल कराया गया है ना ही इनमें कोई डिसीपिलीन है अस्त व्यस्त तरिके से सुरक्षा स्पॉट पर खडें रहते है कुछ लोगो द्वारा तो ड्रेस भी सिला ली गई है ऐसी कंपनीयो से जिले को सुरक्षा में नुकसान तो उठाना पड़ ही रहा है साथ में शासन को टेक्स चोरी कर लाखों रूपये का चूना भी लगाया जा रहा है।
रात में अवैध कंपनीयों द्वारा लगाये गये सुरक्षाकर्मीयो गार्ड की प्रापर ट्रेनिंग ना हो होने से इनमें कोई डिसीपिलीन नही है जिससे इनके रहते हुए भी चोर शहर में चोरी जैसी वारदार करके आराम से करके निकल जाते है शारीरिक एवं सुरक्षा की ट्रेनिंग ना होने होने से इन सुरक्षाकर्मीयों में जबाबदारी नजर नही होती है।