खरीफ 2022 की फसल बीमा राशि किसानों के साथ धोखा है : कांग्रेस

स्वतंत्र समय, हरदा

जिला कांग्रेस कार्यालय में  आयोजित  प्रेस वार्ता में खरीफ फसल 2022 के  बारे में भी जानकारी दी जिसमें जिलाध्यक्ष ओम पटेल दिनेश यादव आदित्य गार्गव गोविंद व्यास अहद खान समेत कांग्रेस के लोग मौजूद थे जिसमें बताया गया कि जिले में खरीफ 2022 में 1 लाख 75 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन फसल की बोनी की गई थी।

किसानों की शिकायत व कांग्रेस के आन्दोलन के बाद किये गये सर्वे में हरदा जिले के हर पटवारी हल्का में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक सोयाबीन फसल की नुकसानी पाई गई थी। इस फसल 50 प्रतिशत नुकसानी के आधार पर यदि फसल बीमा राशि की गणना की जाती, तो हरदा जिले के किसानों को 18500/रू. प्रति हेक्टेयर बीमा राशि मिलना चाहिए थी, जो कि लगभग 300 करोड़ रूपये से ज्यादा होती है। इस प्रकार इस फसल बीमा राशि से किसानों के 300 करोड़ रूपये डुबा दिये गये हैं।

कांग्रेस पार्टी का आरोप है, कि हरदा जिले के कृषि मंत्री कमल पटेल एवं टिमरनी विधायक संजय शाह ने बीमा कंपनी के साथ मिलकर यह षडय़ंत्र किया है, जिस कारण किसानों को 300 करोड़ का नुकसान हुआ है। कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि किसानों के खेतों में खरीफ 2022 सोयाबीन फसल का पटवारी, बीमा कंपनी व कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा की गई सर्वे रिपोर्ट को भू-अभिलेख शाखा द्वारा सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे किसानों को सही स्थिति पता चले। खरीफ 2023 सोयाबीन फसल के लिए जिला शासन द्वारा भाजपा नेताओं के दबाव में जो फार्म किसानों को फसल नुकसानी के लिए दिया गया है, वह नकली है तथा किसानों को भ्रमित करने वाला है। क्योंकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की गाईड लाईन के अनुसार जो प्रोफार्मा निश्चित किया गया है, उसे शासन व बीमा कंपनी द्वारा छिपाया जा रहा है तथा किसानों को भ्रमित करने व किसानों के आक्रोश से बचने के लिए शासन द्वारा यह पर्चा भरवाया जा रहा है। इससे किसानों का कोई फायदा नहीं होगा।

किसानों की खरीफ 2023 सोयाबीन फसल बीमा राशि देने में यदि बीमा कंपनी व जिला प्रशासन सहयोग करना चाहता है, तो जिला कलेक्टर को अतिवृष्टि को स्थानीय प्राकृतिक आपदा के रूप में अधिसूचित करना चाहिए। जिससे हर किसान को फसल बीमा राशि 1 माह के अन्दर मिल सके।  कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि खरीफ फसल 2022 की सोयाबीन फसल बीमा राशि की गणना पुन: कराई जाये तथा पटवारी द्वारा किसानों के खेतों में किये गये सर्वे को सार्वजनिक कर उसी के आधार पर किसानों को फसल बीमा राशि दी जाये।