विकास का श्रेय लेने की होड़ में भाजपा के दो विधायकों में गहराए मतभेद, एक ही विकास कार्य का दो बार किया भूमिपूजन

स्वतंत्र समय, भोपाल/नर्मदापुरम।

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता आगामी एक – दो दिन में लागू हो सकती है। आचार संहिता लागू होने से पहले विधायकों में विकास कार्यों का श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है। एक-एक काम के दो – दो बार भूमिपूजन, लोकार्पण किए जा रहे हैं, ऐसे ही एक मामले में भाजपा के दो वरिष्ठ विधायकों के बीच मतभेद गहराए हैं। इनमें से एक मप्र के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व होशंगाबाद (नर्मदापुरम ) सीट के विधायक डॉ सीताशरण शर्मा हैं, तो दूसरे उनके ही पार्टी के सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह हैं।

दरअसल, नर्मदापुरम-माखननगर के बीच तवा नदी पर करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए की लागत से नया पुल बनना है। पुल के एक छोर पर नर्मदापुरम नगर है तो वहीं दूसरे छोर पर माखननगर है, जो कि सोहागपुर विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है। तवा नदी पर बनने वाले नए पुल का भूमिपूजन करने को लेकर भाजपा के ही दो विधायकों में श्रेय लेने की होड़ लग गई। अभी तक ऐसे मामलों में दो अलग-अलग राजनीतिक दलों के विधायकों के बीच विवाद कहीं- कहीं देखने को मिले हैं, लेकिन यह पहली बार हुआ है, जब एक ही दल भाजपा के ही दो विधायकों में विकास कार्य का श्रेय लेने को लेकर खुलकर मतभेद सामने आए हैं। इस नए पुल का भूमिपूजन विगत सोमवार 2 अक्टूबर को सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह और सांसद उदय प्रताप सिंह ने किया था। इसका श्रेय विधायक विजयपाल सिंह व सांसद उदय प्रताप ङ्क्षसह द्वारा लेना नर्मदापुरम विधायक व मप्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ सीताशरण शर्मा को नागवार गुजरा। उन्होंने अपनी तरफ से ताबड़तोड़ कार्यक्रम बनवाया। पहले भूमिपूजन के ठीक तीन दिन बाद शुक्रवार को फिर से नर्मदापुरम विधायक डॉ.सीताशरण शर्मा ने दोबारा उसी काम का भूमिपूजन कर दिया। इस प्रकार विकास कार्यों में श्रेय लेने की राजनीति में उलझे भाजपा के दो विधायकों के मामले का नागरिकों में अच्छा संदेश नहीं गया है।

दो बार भूमिपूजन को विधायक ने बताया जायज

जिले में पहली बार भाजपा के दो विधायक होने के बावजूद एक ही ब्रिज का दो बार भूमिपूजन होने से ये मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। दूसरी बार भूमिपूजन के सवाल का जवाब देते हुए विधायक ने कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है, ऐसा पहले भी हुआ है। यह पुल दोनों विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ता है। दोनों जगह अलग-अलग भूमिपूजन हुए हैं तो कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कि कहा कांग्रेस ने तो आधा ही बनाया था। बीजेपी में गुटबाजी पर उन्होंने कहा कि पार्टी एक है। वहीं, कार्यक्रम में पहुंचे सेतु निर्माण के सब इंजीनियर महेश वर्मा ने दो बार भूमिपूजन के सवाल पर कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है।

डेढ सौ करोड़ की लागत से बनेगा पुल

करीब 150 करोड़ रुपए की लागत से ये पुल बनेगा। 24 महीने इसकी डेट है और बरसात का समय जोडक़र 32 महीने में यह पूर्ण हो जाएगा। 60 फीट लंबा और 18 फीट चौड़ा यह फोरलेन ब्रिज बनेगा। पुराने पुल से यह 6 मीटर दूर होगा। विधायक शर्मा का अनुमान है कि 6 महीने पहले ही पुल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।