विगत दशकों से सामाजिक संस्थाओं व संगठनों ने वृद्ध आश्रम को दान दी गई  संपत्ति का लेखा-जोखा कहां है: दानदाता

  • बड़ा सवाल: दान दी गई संपत्ति वृद्ध आश्रम की है या फिर संस्था की?
  • दान दी गई संपत्ति के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है: मैनेजर जावेद खां
  • ना शीतल जल ना बिजली व्यवस्था, फिर भी जर्जर पुराने भवन में वृद्धाओं को ठहराने का क्या औचित्य?
  • इसे क्या मानें सेवा भाव या फिर कब्जा जमाने की नियत!

स्वतंत्र समय, गुना

अब तक गुना के कैंट स्थित वृद्ध आश्रम का संचालन किस संस्था द्वारा किया जा रहा था, शायद यह बात अधिकतर लोगों को पता नहीं होगी। वर्तमान में एक पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमें वृद्ध आश्रम की देखरेख की जुम्मेदारी अब सेवा भारती संस्था के हांथों सौपी जा रही है। और इस पोस्ट में आवश्यकता अनुसार कुछ सामान की जरूरत जताई गई है। सेवा भारती संस्था ने इसके लिए 10 दिन का समय मांगा है। अब सवाल यह उठता है कि विगत दशकों से सामाजिक संस्थाओं व संगठनों के द्वारा संस्था को कब क्या संपत्ति दान दी गई है, क्या संस्था के पास इसका कोई लेखा-जोखा है ? यदि है तो क्यों ना उसको नई प्रभारी संस्था को सौंपा जाए। जानकारी के अनुसार वैसे तो वृद्ध आश्रम सामाजिक न्याय विभाग की निगरानी में संचालित किए जाते हैं, भले ही इसकी देखरेख का जिम्मा किसी संस्था को दे दिया जाए।

मैनेजर खान ने कहा- किसने क्या सामान दिया, कब दिया मुझे पता नहीं

इस संबंध में वृद्ध आश्रम में मैनेजर रहे  जावेद खान से चर्चा की गई, और उनसे पूछा गया कि आप विगत कई वर्षों से यहां मैनेजमेंट के पद पर कार्यरत रहे हैं, यहां दानदाताओं द्वारा जो संपत्ति दान की गई है उसका कहीं कोई लेखा-जोखा है क्या ? सवाल के जवाब में मैनेजर जावेद खान ने बताया कि मुझे कोई जानकारी नहीं है और इस संबंध में आप संस्था से बात कीजिए, और राजा साहब का हवाला देते हुए कहा की आप इस संबंध में उन्हीं से चर्चा करें। यह कहकर अपनी बात को विराम दे दिया गया। आश्रम में रह रहे वृद्ध श्याम सिंह, व राम सिंह ने बताया कि कुछ लोग आए थे वह कह रहे थे कि यह पलंग वापस जाएंगे और नए पलंग आएंगे। यह राजा साहब के है। अब सवाल यह उठता है कि दानदाताओं द्वारा दी गई संपत्ति वृद्ध आश्रम की होंगी, या फिर संचालन समिति की।

पुरानी जर्जर बिल्डिंग में चंद वृद्धओं को  ठहराने का क्या औचित्य?

गुना शहर के नानाखेड़ी क्षेत्र में वृद्ध आश्रम की पुरानी बिल्डिंग स्थापित है, जहां देखा गया कि उक्त अवयवस्थित जर्जर भवन में महज चार से पांच वृद्ध जन ही रह रहे है, जिनसे चर्चा की गई तो मुंशीलाल बगैरह ने बताया कि वर्तमान में ना शीतल जल की व्यवस्था है और ना ही बिजली की कोई व्यवस्था है। उनसे पूछा गया कि ऐसे में आप यहां गुजर बसर कैसे कर रहे हो, नई बिल्डिंग में क्यों नहीं जाते हो। तो उन्होंने बताया कि बिजली व्यवस्था को लेकर हम राजा साहब के पास गए थे, उन्होंने बताया कि जल्दी ही सब व्यवस्था करवा देते हैं। इसलिए हम यहाँ रह रहे हैं और क्या करें। आपको बता दें कि उक्त पुरानी जर्जर वृद्ध आश्रम भवन जिसे आमजन के सहयोग से मरम्मत व दुरुस्ती कार्य कराकर रहने योग्य बनाया गया था। एवं समय समय पर वृद्ध जनों की सुबिधाओं के लिए दैनिक जीवन में उपयोगी हेतु जरूरी सामान भी दिया जाता रहा है। वृद्ध आश्रम में दानदाताओं द्वारा दी गई क्या क्या संपत्ति है, आखिर यहाँ क्या हो रहा है, संचालन समिति की कार्य प्रणाली पर नजर रखने की किसी की तो जवाब देही होगी। व्यवस्थित कार्य प्रणाली को ध्यान में रखते हुए बर्तमान में निगरानी समिति की सक्रियता की जरूरत महसूस की जा रही है।

इनका कहना है

दानदाताओं के द्वारा दी गई संपत्ति वृद्ध आश्रम की होती है, ना की संचालन समिति की, वहां कब किसने क्या दिया, इसके लिए हम एक समिति का गठन करेंगे! और इसकी पूरी निष्पक्षता से जांच कराएंगे।

विशाल सिंह, गुना (मप्र)