स्वतंत्र समय, भोपाल
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उत्तराखंड के नरेंद्र नगर में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 24 वीं बैठक हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वर्चुअली शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री शाह ने 4 राज्य के मुख्यमंत्रियों से कहा कि मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ कई मायनों में अन्य राज्यों से अलग हैं। ये राज्य देश के जनजीवन और अर्थतंत्र में अहम योगदान देते हैं।
कृषि और पशुपालन जैसी गतिविधियों से मध्य क्षेत्र, देश की जीडीपी में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। श्री शाह ने कहा कि देश में मातृ शक्ति को सम्मान और सुविधा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023, नीति और कानून निर्माण में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाएगा। समावेशी शासन के नए युग का सूत्रपात हुआ है। लोक सभा और विधान सभा में एक तिहाई स्थानों पर आरक्षण की व्यवस्था के साथ ही राज्यों में भी महिला सशक्तिकरण का वातावरण बन रहा है। श्री शाह ने कहा कि नेशनल एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नाफेड) द्वारा सभी मक्का उत्पादक राज्यों में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का खरीदी की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। किसानों की समृद्धि सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए पोर्टल पर पंजीयन करवाया जा सकता है।
देश में जैविक ईंधन को बढ़ावा देने, दलहन-तिलहन के निर्यात, वित्तीय समावेश, अंतर्राज्यीय जल मुद्दों के समाधान आदि कार्यों के लिए परिषद की स्टेंडिंग कमेटी ने प्राथमिकता से कार्य किया है। कुपोषण समाप्ति, कृषि और सहकारिता के क्षेत्र में प्रयास ब?ाए गए हैं। ऐसा प्रयास है कि आने वाले वर्ष में देश के प्रत्येक गाँव में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करवाई जाए।
मध्य क्षेत्रीय परिषद एक सार्थक मंच
केन्द्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि मध्य क्षेत्रीय परिषद की पहचान एक सार्थक मंच के रूप में बनी है। गत 9 वर्ष में परिषद की वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक की अवधि के मुकाबले ज्यादा बैठकें हुई हैं। परिषद की स्थायी समिति की जहाँ वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच 14 बैठकें ही हुईं थीं, वहीं वर्ष 2014 से 2023 तक मध्य क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति की नौ साल में 29 बैठकें हो गई हैं जो दोगुनी से ज्यादा हैं। विभिन्न मुद्दों के निराकरण में भी गत 9 वर्ष उपलब्धि से भरे वर्ष हैं। पहले के दशक (2004 से 2014) में जहां 448 मुद्दों पर निराकरण की कार्यवाही हुई, वहीं वर्ष 2014 से अब तक नौ वर्ष की अवधि में 1157 मुद्दों पर निराकरण हो चुका है।