स्वतंत्र समय, भोपाल
मप्र की राजनीति में सदन से लेकर सडक़ तक हंगामाखेज चर्चा का विषय बने सीधी पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के खिलाफ जिला प्रशासन ने एनएसए के तहत कार्रवाई की थी। उसके ऊपर एनएसए लगाया गया है। प्रवेश शुक्ला की पत्नी ने हाईकोर्ट में एनएसए की कार्रवाई को चुनौती दी है। हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और फैसला सुरक्षित करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि सीधी पेशाब कांड की गूंज पूरे देश में हुई थी, इसके बाद शिवराज सरकार ने डैमेज कंट्रोल किया है।
गौरतलब है कि बीते दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। जिसमें एक युवक दूसरे युवक के ऊपर पेशाब करता हुआ नजर आ रहा था। वायरल वीडियो की पड़ताल के बाद पता लगा कि जो शख्स पेशाब कर रहा है, उसका नाम प्रवेश शुक्ला है और यह सीधी जिले का भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता व पूर्व मंडल उपाध्यक्ष है। इसके साथ ही प्रवेश शुक्ला सीधी विधायक का प्रतिनिधि भी था। जिससे पार्टी की हुई किरकि री से भाजपा ने बाद में विधायक केदार शुक्ला का विधानसभा का टिकट भी काट दिया है। इससे पहले इस घटना ने राजनीतिक तूल पकड़ा और यह एक बड़ा मुद्दा बन गया। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष खरगे, राहुल, प्रियंका, बसपा सुप्रीमो मायावती से लेकर मप्र के कांग्रेस नेताओं ने भी प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन को निशाने पर लिया था। इसके बाद प्रवेश शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई की गई। उसके घर पर बुलडोजर चला और प्रवेश शुक्ला के खिलाफ एनएसए लगा दिया गया। प्रवेश शुक्ला की पत्नी ने हाईकोर्ट में अपने वकीलों के माध्यम से पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया। उन्होंने दलील दी है यह मामला 2020 का है, 3 साल पुराने वीडियो के आधार पर एनएसए की कार्रवाई तर्कपूर्ण नहीं।
देशभर में चर्चित रहा है यह मामला, याचिका में ये दलीलें
याचिका में कहा गया है कि इस घटनाक्रम के बाद कोई उपद्रव या शांतिभंग जैसी स्थिति नहीं बनी। वकीलों ने तर्क देते हुए कहा कि प्रवेश शुक्ला किसी दूसरे आपराधिक कृत्य में पहले कभी दोषी नहीं पाया गया। इसलिए उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई ना की जाए। यह पूरा मामला राजनीति से जुड़ा हुआ है। इसलिए इसे ज्यादा तूल दिया गया। एनएसए की कार्रवाई अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। वहीं सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों का कहना है कि प्रवेश शुक्ला ने जो किया, वह पब्लिक ऑर्डर के खिलाफ है। फिलहाल इस मामले में दोनों ही पक्षों की जिरह को सुनने के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और विशाल मिश्रा की बेंच ने आदेश को सुरक्षित करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में प्रवेश शुक्ल की ओर से अनिरुद्ध मिश्रा ने पैरवी की।