स्वतंत्र समय, आमला
जिस सडक़ को लेकर आंदोलन हुए। यहां तक कि युवक कांग्रेस ने विधायक की गाड़ी रोककर विरोध प्रदर्शन भी किया। उसी सडक़ के निर्माण में गुणवत्ता के साथ समझौते ने लोगों में आक्रोश बढ़ा दिया है। लोग सडक़ की गुणवत्ता को लेकर बार-बार सवाल खड़े कर रहे है, लेकिन नगरपालिका को कोई फर्क तक नहीं पड़ रहा है। यहीं वजह है कि सडक़ निर्माण में ठेकेदार की खुली मनमानी चल रही है और आमजनता परेशान है। दरअसल मुख्यमंत्री कायाकल्प योजना अंतर्गत 67 लाख की सडक़ का निर्माण शुरू हुआ तो निर्माण एजेंसी ने लापरवाही बरतना शुरू कर दिया। निर्माण एजेंसी तय मानकों से हटकर घटिया बेस तैयार कर रही है। लोगों के विरोध के बाद पानी का छिडक़ाव और रोड रोलर चलाया जा रहा है, किन्तु पूर्व में इस्तेमाल मटेरियल और लेयर बाय लेयर बेस तैयार करने में कोताही बरती जा रही है। ऐसे में आने वाले समय में स्थिति क्या होगी, यह समझ से परे है। खासबात यह भी है कि 20 साल से इस सडक़ के निर्माण के लिए आमजनता मांग कर रही है। कांग्रेसियों ने आंदोलन भी किया। फिर भी सडक़ निर्माण में गुणवत्ता को लेकर कांग्रेस की ही नगर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। प्रत्येक सडक़ निर्माण के तय है पैमाने प्रत्येक सडक़ निर्माण के कुछ पैमाने होते है। तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा सडक़ की उपयोगिता के आधार पर मापदंड तय करते है और उसी के अनुरूप काम होना चाहिए, ताकि सडक़ का लाभ लोगों को मिल सके। नीलेश मालवीय वार्डवासी ने बताया कि ठेकेदार द्वारा अब भी पुरानी तकनीक से सडक़ का निर्माण किया जा रहा है। सडक़ में जिस गुणवत्ता के हिसाब से बेस बनना चाहिए था, वह नहीं है। कई जगह झील तो कई जगह ऊंच-नीच जैसी स्थिति दिख रही है। वार्डवासियों का कहना है कि इस सडक़ पर यातायात का दबाव ज्यादा रहता है, क्योंकि इसी सडक़ पर स्कूल और मोक्षधाम भी है। जिससे आवाजाही निरंतर लगी रहती है।
इनका कहना है
अभी सीआरएम डाला गया है। इसके ऊपर 25 सेमी की डब्ल्यूएमएम लेयर आयेगी और रोलिंग होगी। सडक़ बनने के बाद तीन साल का एग्रीमेंट है। सडक़ खराब होती है तो ठेकेदार की जिम्मेदारी रहेगी। सडक़ की गुणवत्ता की थर्ड पार्टी आकर चेकिंग करेगी, उसके बाद ही भुगतान होगा।
-सुभाष शर्मा, सब इंजीनियर, नगर पालिका, आमला