स्वतंत्र समय, भोपाल
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में बगावत का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा में मध्यप्रदेश के लगभग हर क्षेत्र से बगावत देखने को मिल रही है। यही कारण है कि अब पार्टी के बड़े नेताओं को डेमेज कंट्रोल के लिए पहुंचना पड़ रहा है। इस बीच कटनी महापौर प्रीति संजीव सूरी के पुत्र गौरव सूरी के कांग्रेस ज्वाइन करने के अटकलें तेज हो गई हैं। दरअसल गौरव और पीसीसी चीफ कमलनाथ के साथ की एक फोटो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। गौरव सूरी से फोन पर चर्चा की तो उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन करने से इंकार नहीं किया। आपको बता दें गौरव सूरी की मां निर्वाचित होने के बाद दोबारा भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थी, लेकिन इस उनके बेटे की कमलनाथ के साथ वायरल हो रही फोटो ने एक बार बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीरे खींच दी हैं।
ले सकते हैं कांग्रेस की सदस्यता
कटनी की मेयर प्रीति सूरी पहले बीजेपी में ही थीं, नगर निकाय चुनाव के दौरान पार्टी की तरफ से प्रीति सूरी को टिकट नहीं मिला था। जिसके बाद वह निर्दलीय चुनाव लड़ गई थीं। प्रीति सूरी ने बीजेपी उम्मीदवार को हराया था। करीब छह महीने बाद फिर से प्रीति की पार्टी में वापसी की थी। भोपाल स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रीति ने फिर से बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कराई गई थीं। गौरव सूरी प्रीति के बेटे हैं, जिनकी तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया समेत महाकौशल क्षेत्र में वायरल हो रही है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि गौरव आने वाले समय में कांगेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं।
सिंधिया जानते हैं दिग्विजय सिंह और विधायक जयवर्धन सिंह के नजदीकि रहे हीरेन्द्र की चुनावी रणनीति से बखूबी परिचित हैं। इसी का लाभ उठाते हुए हीरेन्द्र सिंह को सिंधिया का भरपूर समर्थन भी मिल रहा है। हीरेन्द्र सिंह ने अपने भाषण में रामलला और प्रधानमंत्री मोदी के नाम का जिक्र करते हुए राजनीतिक बिसात बिछाना शुरू कर दी है।
हीरेन्द्र ने कहा कि सनातन के अपमान और आत्मसम्मान की लड़ाई के कारण कांग्रेस छोड़ी और भाजपा का दामन थामा है। पहले कांग्रेस के थे, लेकिन आज वे बीजेपी के प्रत्याशी हैं। उन्होंने बयान देते हुए कहा कि कांग्रेस के कारण अयोध्या में रामलला टेंट के नीचे रहने को मजबूर थे, लेकिन रामलला का मंदिर निर्माण मोदी के कारण ही संभव हो पाया। कश्मीर में धारा 370 का जिक्र भी किया। हालांकि ग्रामीणों के लिए धारा 370 का मुद्दा बेमानी सा दिखाई दिया। हीरेन्द्र सिंह ने सिंधिया की तरह ग्रामीणों से पारिवारिक रिश्ता जोडऩे की कोशिश भी की। परिवारिक रिश्तों की दुहाई देते हुए हीरेन्द्र सिंह ने कहा कि उनके संबंध राजनैतिक नहीं हैं, बल्कि पारिवारिक हैं। बुजुर्गों के बीच बेटा, भाई, भतीजा बनकर आया हूं। हीरेन्द्र ने कहा कि 2003 के पहले राघोगढ़ क्षेत्र में पक्की सडक़ें नहीं थीं, जबकि खुद दिग्विजय सिंह यहां से मुख्यमंत्री थे। हालांकि हीरेन्द्र ने ये भी कहा कि मुझसे छोटी-मोटी शिकायतें हो सकती हैं, आपसी रंजिश और मतभेद भुलाकर बीजेपी के लिए काम करें।
हमारी आत्म और सोच बस सनातन ही है…
वहीं स्थानीय विधायक जयवर्धन सिंह ने राघोगढ़ की जनता को अपना परिवार बताते हुए विकास कार्य गिनाए। जयवर्धन सिंह ने कहा कि हमारी तो आत्मा और सोच ही सनातन है. हीरेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर वोट मांगे। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लेते हुए कहा कि किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया, इसलिए सिंधिया ने सरकार गिराई और कमलनाथ को सडक़ पर ला दिया।