स्वतंत्र समय, भोपाल
अपने वादे के मुताबिक कांग्रेस ने नवरात्र के पहले दिन रविवार को कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की गई। पहली सूची जारी होते की प्रदेशभर के कई जिलों में जमकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। कई दावेदारों ने टिकट नहीं मिलने में अपने पदों से इस्तीफा देकर पार्टी को साफ संदेश भी दिया और उनके समर्थकों ने पुतला दहन, नारेबाजी कर विरोध भी जता रहे हैं। अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सबसे ज्यादा चली है। जिसमें वे अपने लोगों को उम्मीदवार बनाने में नंबर वन पर रहे और बाकी सभी दिग्गज नेता पीछे छूट गए और वे कुछ सीटों में अपनी चला पाए। कांग्रेस को मध्य प्रदेश में सत्ता में वापसी के लिए भारी बहुमत की जरूरत है। इसलिए पार्टी हर दांव को खेलने में गंभीरता बरत रही है। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक 136 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। अभी भी 94 नाम पर मंथन चल रहा है। उनकी भी बाकी उम्मीदवारों की अगली सूची जल्द आ सकती है।
छिंदवाड़ा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ फिर एक बार मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के विवेक बंटी साहू से है। कमलनाथ पिछले चुनाव में महज 25 हजार 837 वोटों से जीत पाए थे। इसलिए भाजपा इस चुनाव में कमल नाथ को यहां उलझा सकती है।
पीसी के नाम पर पेंच, सक्सेना की दावेदारी
भोपाल में कांग्रेस ने मध्य, नरेला एवं बैरसिया विधानसभा पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। भोपाल उत्तर में अकील परिवार में विरोध और भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा के विधायक पीसी शर्मा के अलावा युवा नेता संजीव सक्सेना दावेदारी कर रहे हैं। विधायक पीसी शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ दोनों की पसंद कहे जाते हैं। व्यापम घोटाले से दोषमुक्त होने के बाद संजीव सक्सेना भी इसी सीट पर सक्रिय हैं। सक्सेना ने यहां तक कह दिया है कि वह हर हाल में चुनाव लड़ेंगे।
भोपाल 3 सीटों पर दो पर पचौरी का दबदबा
विधानसभा के 144 उम्मीदवारों की पहली सूची में भोपाल की नरेला सीट से मनोज शुक्ला, भोपाल मध्य से आरिफ मसूद और बैरसिया से जयश्री हरिकरण को उम्मीदवार बनाया है। साथ ही भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण पश्चिम और हुजूर सीटों को होल्ड रखा गया है। जारी तीनों सीटों में उम्मीदवारों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी का दबदबा नजर आ रहा है। बैरसिया में दिग्विजय अपने समर्थक राम भाई मेहर को प्रत्याशी बनाना चाह रहे थे, मेहर पिछले विधानसभा चुनाव में भी दावेदारी कर रहे थे, इस बार में उनका टिकट काट दिया गया।
मनोज शुक्ला: क्यों टिकट मिला
नरेला विधानसभा क्षेत्र में काफी समय से सक्रिय हैं। धार्मिक यात्राएं कराने से लेकर स्वयं अपने पैसों से लोगों की मदद करते हैं। नरेला विधानसभा क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। इसलिए कांग्रेस ने इस बार उन पर भरोसा जताया है। यहां ब्राम्हण समाज का भी दखल है। मनोज को पचौरी का गुट का माना जाता है और उनके पिता सुभाष शुक्ला कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार हैं।
आरिफ मसूद: क्यों दिया टिकट
कांग्रेस ने एक बार फिर वर्ष-2018 विधानसभा चुनाव में जीतने वाले विधायक आरिफ मसूद पर दोबारा विश्वास जताया है। मसूद मुस्लिम समुदाय में लोकप्रिय हैं। उनकी पकड़ हिन्दू आबादी में भी है। विधायक रहते हुए क्षेत्र में विकास कार्य कराए हैं। उन पर कोई ऐसा गंभीर आरोप नहीं लगा। उनकी सक्रियता पूरे क्षेत्र में रहती है। सर्वे में उनको अच्छे अंक मिले और कांग्रेस ने फिर से प्रत्याशी बनाया। मसूद शुरू से पचौरी गुट से नेतागिरी करते आए हैं।
जयश्री हरिकिरण: क्यों टिकट दिया
कांग्रेस नेता जयश्री हरिकरण अनुसूचित वर्ग से आती हैं। हारने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। क्षेत्र में सक्रियता बनाए रखी। लोगों के दुख-सुख में खड़ी रहती हैं। सर्वे में पहले नंबर में आया। साथ ही दिग्विजय की समर्थक हैं। कांग्रेस ने अनुसूचित जाति के मतों की संख्या का प्रतिशत होने से जयश्री पर भी विश्वास जताया है।
राजेश राठौर
टिकट बटवारें में कांग्रेस की चूक क्या गुल खिलाएगी… मप्र में विधानसभा चुनाव के हिसाब से सत्ता में आने की आखिरी कोशिश कर रही कांग्रेस आखिर टिकट बांटने में ही चूक क्यों कर जाती है। जब तमाम सर्वे की बात होती है तो लगता है कि कांग्रेस एक-एक टिकट समझदारी से बांटेगी। जब सूची आती है तो फिर बवाल क्यों मचता है ? कांग्रेस की सूची आने के बाद जिस तरह से उम्मीदवारों का विरोध हो रहा है, पुतले जल रहे हैं, तो फिर डैमेज कंट्रोल की तैयारी पहले से क्यों नहीं की गई ? अधिकांश दावेदारों को पहले ही इशारा कर दिया था कि उन्हें टिकट मिलेगा तो फिर बाकी सीट पर भी एक से अधिक दावेदार होने पर दावेदारों से बातचीत क्यों नहीं की गई ? जाति समीकरण की बात हो या जीतने वाले दावेदार को टिकट देने की बात हो। यह बात कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ ही कांग्रेस हाईकमान समय पर क्यों नहीं समझ पाता है ? हालांकि यह सब कांग्रेस की पहचान है कि वहां पर गुटबाजी और वर्चस्व की लड़ाई टिकट को लेकर होती ही है। सत्ता में आने के बाद भी मंत्री बनने को लेकर ऐसी उठापटक हमने कमलनाथ सरकार में देखी है। राजनीति के तौर-तरीके बदल गए लेकिन कांग्रेस ने अपने कामकाज के तरीके नहीं बदले । ऐसा नहीं है कि भाजपा में झगड़े नहीं हैं, वहां भी गुटबाजी और वर्चस्व की लड़ाई है, उन सबके बावजूद भाजपा में कांग्रेस से ज्यादा अनुशासन है। सारे दावेदार और उम्मीदवार डरते हैं कि भाजपा हाईकमान से पंगे नहीं लिए जा सकते। खैर, कांग्रेस मैदान में तो है, सरकार के आसपास भी है। अब कांग्रेस को चुनाव प्रचार से लेकर उम्मीदवारों को जिताने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा, नहीं तो मुगालते में सरकार कांग्रेस की बनती हुई दिखाई नहीं दे रही है। भाजपा और कांग्रेस के बीच असली चुनाव 10 नवंबर के बाद शुरू होगा। जब प्रचार अंतिम दौर में होगा और दोनों पार्टियां जीत के लिए संघर्ष करती हुई दिखाई देंगी।
चले बयानों के तीर…
कमलनाथ बोले, मप्र में कांग्रेस की पूरी तैयारी
कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश में हमारी पूरी तैयारी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरफ से जारी उम्मीदवारों की पहली सूची में 65 ऐसे उम्मीदवार हैं जिनकी उम्र 50 साल से कम है, जबकि 19 महिला उम्मीदवार हैं।
कैलाश का तंज: 44 भी नहीं जीत पाएंगे, सब फ्यूज बल्ब
विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। इस पर बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के सारे कैंडीडेट्स फ्यूज बल्ब की तरह है। इन 144 कैंडीडेट्स में 44 कैंडिडेट भी अपनी जीत दर्ज नहीं कर पाएंगे।
मिश्रा का दावा- सभी उम्मीदवार जीताऊ
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि 144 टिकट पर काफी मंथन के बाद सूची जारी हुई है। यह सभी चेहरे जीतने वाले हैं। अब आने वाली सूची का भी इंतजार हो रहा है। टिकटों में सभी की हिस्सेदारी रहे, यही कांग्रेस की पहली प्राथमिकता रही है।
भाजपा का तंज- अग्रवाल बोले, परिवारवाद, दागदार की भरमार
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि ऐसे चाल-चरित्र-चेहरों को लेकर उतरी कांग्रेस की हार सुनिश्चित है। अग्रवाल ने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर कहा कि कांग्रेस (प्रत्याशियों) की यह सूची केवल और केवल परिवारवाद, दागदार, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी है। यह सूची ऐसे कांग्रेसियों से भरी है जो जनजातीय नायकों का अपमान करते हैं, जो महिलाओं का उत्पीडऩ करते हैं, महिलाओं पर अपमानजनक, अशोभनीय टिप्पणी करते हैं। वंदे मातरम का विरोध करते हैं। कथावाचकों का अपमान कर गीता श्लोकों की पैरौडी बनाते हैं।
पहली सूची में 39 ओबीसी को मौका
चुनाव में कांग्रेस अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का मुद्दा गरमाने का असर प्रत्याशियों की पहली सूची में नजर आया है। कांग्रेस ने 27 प्रतिशत टिकट ओबीसी को दिए हैं। वहीं, 15 पूर्व विधायकों को मौका देकर महत्व दिया है। निर्दलीय विधायक केदार डाबर को टिकट देने के साथ 2018 के चुनाव में कांग्रेस की हार का कारण बने तीन निर्दलीय प्रत्याशियों पर भी दांव लगाया है। कांग्रेस ने पहली सूची में 39 ओबीसी को प्रत्याशी बनाया है।
दिग्गजों के गुटों पर भी कांग्रेस की मुहर
- कमलनाथ गुट: सज्जन सिंह वर्मा, डा. विजय लक्ष्मी साधौ, बाला बच्चन, तरुण भनोत, लखन घनघोरिया, कमलेश्वर पटेल, उमंग सिंघार, सुखदेव पांसे, हर्ष यादव, ओमकार सिंह मरकाम (सीधे राहुल गांधी से जुड़े)
- दिग्गी गुट: नेता प्रतिपक्ष डा.गोविंद सिंह, पूर्व मंत्रियों में हुकुम सिंह कराड़ा, जीतू पटवारी(सीधे राहुल गांधी से जुड़े), जयवर्धन सिंह, प्रियव्रत सिंह, सचिन यादव, सुरेंद्र सिंह हनी बघेल, विजयपुर से रामनिवास रावत, नरयावली से सुरेंद्र चौधरी, टीकमगढ़ से यादवेंद्र सिंह, अमरपाटन से राजेंद्र सिंह, केवलारी से रजनीश सिंह, भांडेर से फूल सिंह बरैया।
- अजय सिंह गुट: मऊगंज से सुखेंद्र सिंह, चुरहट से अजय सिंह।
- सुरेश पचौरी गुट: पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी गुट से भी नेताओं को मैदान में उतारा है। इसमें अटेर से हेमंत कटारे, पवई से मुकेश नायक, पाटन से नीलेश अवस्थी, परसवाड़ा से मधु भगत, गोटेगांव से शेखर चौधरी, हरदा से रामकिशोर दोगने, मनासा से नरेंद्र नाहटा।
लगातार हारने वाली 26 सीटों के प्रत्याशी तय
तीन या उससे अधिक बार लगातार हारने वाली 66 सीटों को पार्टी ने चिह्नित कर उन पर कार्यकर्ताओं का मन टटोलने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भेजा था। पहली सूची में इनमें से 26 सीटों के प्रत्याशी घोषित किए गए हैं।