भाजपा के गढ़ सारंगपुर पर कांग्रेस की नजर

  • भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की आज तक नहीं हुई घोषणा
  • दोनों पार्टियों में प्रत्याशियों को लेकर लंबी खींचतान से मतदाताओं में जन चर्चा का विषय बना

अनिल सोनी, सारंगपुर

साल 1962 मे अस्तित्व में आई सारंगपुर विधानसभा सीट पर अब तक सिर्फ तीन बार ही कांग्रेस अपनी जीत दर्ज करा सकी है। हालही में बदलती परिस्थिति और वर्तमान विधायक कुंवर कोठार का विकास यात्रा के दौरान विरोध कांग्रेस का बल बना है। इस सीट पर इस बार कांग्रेस कि नजर है। उसके बाद पिछले छह महीने से कांग्रेस ने विधानसभा के हर गांव में कार्यकर्ता सक्रिय कर जाल बिछा दिया है। लगातार दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के अलावा अन्य प्रभावी नेताओं के दौरे हो रहे है। इसीलिए भाजपा अभी तक अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पाई।
दर असल, 1962 में विधानसभा अस्तित्व में आने से अब तक स्ष्ट रही इस विधानसभा में 1962 और 1967 में गंगाराम जाटव भाजपा के पहले विधायक बने, 1972 में पहली बार कांग्रेस के सज्जन सिंह विशनार जीते, लेकिन 1977 में स्व.अमरसिंह कोठार ने निर्दलीय चुनाव लड़ा कर जीत दर्ज की। उस समय मध्यावधि चुनाव हुए और 1980 में अमरसिंह कोठार को भाजपा से प्रत्याशी बनाया गया। 1985 में कांग्रेस ने जातिगत समीकरण के आधार पर तत्समय धामन्दा गांव में पदस्थ शिक्षक हजारीलाल मालवीय को टिकट दिया और जीत हासिल की। लेकिन 1990 और 1993 में फिर से अमर सिंह कोठार ने भाजपा को जीत दिलवाई। 1998 में फिर कांग्रेस ने जातीय कार्ड खेला और उस समय के उभरते युवा कृष्ण मोहन मालवीय को टिकट दिया। लेकिन 2003 के चुनाव में कांग्रेस जीत बरकरार नहीं रख पाई और अमर सिंह कोठार विजयी हुए। कार्यकाल पूरा होने के कुछ दिन पूर्व ही कोठार का देवलोकगमन हो गया। साल 2008 के चुनाव के पूर्व उनका देहावसान हो गया उसके बाद गौतम टेटवाल को टिकट मिला था। लेकिन साल 2013 में सारंगपुर मे गौतम टेटवाल की छवि पर विपरीत असर देखकर अमरसिंह कोठार के पुत्र कुंवर कोठार का नाम सामने रखा गया, जिन्हें पिता की छवि का लाभ मिला और विधायक बने। दूसरी बार 2018 की विपरीत परिस्थितियों मे भी भले ही कम मतों से लेकिन भाजपा कार्यकर्ता उन्हें जीता कर लाए।

इस बार बिगड़े समीकरण

जहां लगातार कांग्रेस की सक्रियता और छह महीने पहले से पिछली बार महज 4381 मतों से चुनाव हारी कला मालवीय के पति और कृषि विभाग में ग्राम सेवक के पद से त्यागपत्र देकर क्षेत्र में सेवा के साथ कबीर भजन से पहचान बना चुके महेश मालवीय का नाम चर्चा में आया है। वहीं भाजपा विधायक का लगातार विरोध एवं कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं मिलने से विकास यात्रा के दौरान विधायक कोठार को काले झंडे तक दिखाए गए. इस कारण इस बार भाजपा का समीकरण बिगड़ा हुआ है।

नजर आ रहा है मतदाताओं का मन भी

नए उम्मीदवार की मांग पर अड़ा हे। वैसे कांग्रेस के पास जहां महेश मालवीय, बनवारी मालवीय छगनलाल धौलपुरिया सहित 19 दावेदार है। वहीं भाजपा के पास वर्तमान विधायक कुंवर कोठार और अन्य की छवि एंटी इंकमबेंसी युक्त है। ऐसे में भाजपा कार्यकर्ता नए चेहरे की मांग कर रहे है। वैसे भी चार पांच नामों पर जोर चल रहा हे पर इन दो नामों की जन चर्चा बनी हुई है।पार्टी सूत्रों के अनुसार पूर्व विधायक अमर सिंह कोठार के भानेज मोहन सोलंकी पूर्व विधायक गौतम टेंटवाल का नाम इसमें सर्वोपरि हैं, लेकिन आज दिनांक तक दोनों पार्टी ने अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की है जिसको लेकर सारंगपुर विधानसभा में चर्चाओं का दौर जारी है वैसे तो पार्टी ने अपने उम्मीदवार अपनी लिस्ट में बनाकर लिफाफे में पैक कर रखे हैं लेकिन उन्हें खोलना अभी तक मुनासिब नहीं समझा है पार्टी ने मतदाताओं में विधायक प्रत्याशी की घोषणा को लेकर काफी चर्चाएं जारी है अब देखना यह है कि भाजपा और कांग्रेस किन को अपना प्रत्याशी बनाकर विधानसभा 164 में मतदाताओं की भावनाओं का ध्यान रखते हैं।