वोट की खातिर बैक डोर से सडक़ के लिए पैसा! खुलेआम उड़ रही आचार संहिता की धज्जियां

  • मामला डन कालोनी में निर्माणाधीन सडक़ का,
  • अचार संहिता के बीच बिना अनुमति बन रही सडक़,
  • एक जनप्रतिनिधि द्वारा पर्दे के पीछे से रुपए देने की चर्चाएं

स्वतंत्र समय, कटनी

मदन मोहन चौबे वार्ड स्थित रिहायशी इलाका डन कॉलोनी के रहवासी वर्षों से सडक़ की समस्या से जूझ रहे हैं। समस्या के निराकरण को लेकर चुनाव के ठीक पहले रहवासी एकजुट हो गए और चंदा एकत्रित कर लाखों रुपए की लागत से डामर सडक़ का निर्माण शुरू करवा दिया है। आचार संहिता के बीच बिना अनुमति सडक़ निर्माण व फंडिंग को लेकर प्रशासन अलर्ट हो गया है। प्रशासन जानकारी जुटा रहा है कि सडक़ के लिए किसने कितने रुपए दिए हैं। सूत्रों की मानें तो रहवासियों द्वारा 3 लाख 50 हजार रुपए के चंदा वसूली का लक्ष्य रखा गया है, जबकि सडक़ का निर्माण 6 लाख 50 हजार रुपए से अधिक में हो रहा है। शेष राशि कहां से आई, किसके द्वारा लगाई जा रही है, यह जांच का विषय बन गई है। शहर में चर्चा है एक जनप्रतिनिधि द्वारा पर्दे के पीछे से कुछ फंडिंग भी की गई है। यह वही कॉलोनी है जहां के रहवासियों ने कुछ माह पहले विरोध किया था। कॉलोनी के वासुदेव चेलानी बताते हैं कि खराब सडक़ के कारण अफसरों व नेताओं के चक्कर काटकर परेशान हो गए थे। थक-हारकर यह कदम उठाया है। 1 दिसंबर 2015 से नगर निगम को पत्राचार कर रहे हैं। 4 अगस्त 2016 को कलेक्टर, 6 अगस्त 2019, 6 जून 2020, 21 अगस्त 2023 को नगर निगम में समस्या बताई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। हाइकोर्ट में भी मामला दायर किया है। अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने नहीं सुना, तब जाकर चंदा जोडक़र सडक़ बना रहे हैं।

मतदाताओं को लुभाने प्रयास तो नहीं

जानकारों का कहना है कि जब निर्वाचन के लिए आचार संहिता लागू हो तो ऐसे समय में नए निर्माण कार्य नहीं कराए जा सकते, क्योंकि यह संभावना बनी रहती है कि कहीं मतदाताओं को लुभाने के लिए किसी राजनीतिक व्यक्ति द्वारा तो नहीं कराया जा रहा, ऐसे में बिना सक्षम स्वीकृति के इस तरह के निर्माण कार्य कराने से कई सवाल खड़े होते हैं।

बजट बना, फिर हटाया

जानकारी के अनुसार जब कॉलोनी के रहवासियों ने मूलभूत सुविधाओं के विस्तार की मांग उठाई तो नगर निगम ने इस्टीमेट बनाकर सडक़, नाली निर्माण आदि के प्रस्ताव तैयार कराकर बजट प्रावधान भी किया था। कार्रवाई भी अंतिम चरण में थी। इसी बीच कॉलोनी के संबंध में कुछ लोगों ने शिकायत कर दी थी कि कॉलोनी में कॉलोनाइजर द्वारा जो विकास कार्य कराए गए हैं वह नियम अनुसार नहीं हुए। इसके लिए जांच कमेटी बनी, शिकायत की जांच भी हुई। लेकिन बगैर उचित कारण के बजट प्रस्ताव को हटा दिया गया और आजतक नगर निगम द्वारा सडक़ नहीं बनाई गई।

यह है कॉलोनी का अस्तित्व

डन कॉलोनी को 2002 में अनुमति मिली थी। 2010 में नगर निगम से सीसी (कार्य पूर्ति प्रमाणपत्र) हुई थी। 14 मार्च 2011 में तत्कालीन कार्यपालन यंत्री एमएस प्यासी ने विकास अनुज्ञा को निरस्त कर दिया था। कॉलोनी के संबंध में विधानसभा में मामला उठा। जांच में पाया गया कि विकास अनुज्ञा जो निरस्त की गई थी वह विधि संगत कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि 2010 में उन्हीं कार्यपालन यंत्री द्वारा ही सीसी जारी की गई थी, जिन्होंने शिकायत पर अनुज्ञा निरस्त की थी। सक्षम अधिकारी आयुक्त नगर निगम ने 2021 में विकास अनुज्ञा निरस्ती के आदेश को खारिज कर दिया।

इनका कहना है

इन कॉलोनी में नगर निगम द्वारा सडक़ का निर्माण नहीं कराया जा रहा है। यदि कॉलोनी के लोग चंदा एकत्रित कर जन भागीदारी से सडक़ का निर्माण करा रहे हैं तो अच्छी बात है। जब से मैं यहां आया हूं कॉलोनी के लोगों ने सडक़ निर्माण की मांग नहीं रखी। लोग मूलभूत सुविधाओं पर बिना अनुमति भी काम करा सकते हैं।

-विनोद कुमार शुक्ला, ननि आयुक्त।

डन कॉलोनी में सडक़ निर्माण कराए जाने की जानकारी सामने आई है। नगर निगम द्वारा उक्त सडक़ का निर्माण नहीं किया जा रहा है। आचार संहिता के बीच सडक़ किसके पैसे से बन रही है, इसकी जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

-साधना परस्ते, उप जिला निर्वाचन अधिकारी।