स्वतंत्र समय, इंदौर
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में सालों से काम कर रहे तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के नियमितिकरण की आस चुनावों के चक्कर में उलझकर रह गई है। यूनिवर्सिटीज की सर्वोच्च कमेटी यानी कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में इनके स्थायीकरण की प्रक्रिया शुरू करने का मुद्दा रखा जाना था, लेकिन दो बार यह बैठक निरस्त हो गई और अब चुनावों की घोषणा के कारण इसके करीब दो महीने होने की संभावना नहीं है। यूनिवर्सिटी में सालों बाद फेकल्टी और कर्मचारियों की नियमित भर्तियां शुरू हुई हैं। इसकी शुरुआत जुलाई में सालों से काम कर रहे 82 कर्मचारियों को नियमित करने से हुई थी। इसके बाद टीचिंग पदों की बैकलॉग भर्ती की प्रक्रिया हुई है। तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को भी कुछ होने की आशा थी, जो 20 से लेकर 25 सालों से नियमित होने की राह देख रहे है। इस समय स्थायीकर्मी के रूप में कार्यरत 85 कर्मचारी नियमित होने के लिए पात्र हैं। यूनिवर्सिटी ने इन्हें नियमित करने के लिए प्रमुख सचिव को पत्र लिखने के साथ ही कोआर्डिनेशन कमेटी में उठाने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन बैठक ही नहीं हो पाई है।
यूनिवर्सिटी के विभिन्न डिपार्टमेंट में रिक्त पदों पर भर्तियों की प्रक्रिया चल रही है। बैकलॉग के साथ ही अन्य खाली पदों पर भी नियुक्तियां हो रही हैं, जिसके लिफाफे कार्यपरिषद की बैठक में खोले गए हैं। यूनिवर्सिटी ने जुलाई में 11 साल बाद चतुर्थ श्रेणी के करीब 82 कर्मचारियों को स्थाई किया था लेकिन इस पूरी प्रक्रिया से अस्थाई रूप से कार्य कर रहे तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को छोड़ दिया गया था।
निर्देश या अनुशंसा की मांग की थी
यूनिवर्सिटी ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी स्थाई करने के लिए अपर मुख्य सचिव और कोऑर्डिनेशन कमेटी में रखने के लिए पत्र लिखा था। पत्र में शासन के 7 अक्टूबर 2016 का हवाला देते हुए बताया था कि यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को स्थाई किया गया था। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने 26 अप्रैल 2023 को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को स्थाई करने के लिए कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे। वहीं 7 अक्टूबर 2016 में तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को नियमित करने के संबंध में कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। इस कारण यूनिवर्सिटी में कार्यरत तृतीय श्रेणी के कुशल स्थायीकर्मी कर्मचारियों को भी स्थाई करने के संबंध में निर्देश या अनुशंसा देने की मांग की गई थी।
अब दिसंबर तक मामला टला
अन्य विभागों में भी राज्य सरकार ने अपने स्थाईकर्मी कर्मचारियों को स्थाई किया है। इस कारण यूनिवर्सिटी के तृतीय वर्ग के स्थायीकर्मियों को भी स्थाई करने का प्रस्ताव पारित होने या कुछ दिशा निर्देश मिलने की संभावना थी लेकिन यह आस कुछ समय के लिए टल गई है। वास्तव में कोऑर्डिनेशन की बैठक टल गई है। पहले यह बैठक सितंबर के आखिरी हफ्ते में होने वाली थी लेकिन आगे बढऩे के बाद यह तीन अक्टूबर को तय की गई लेकिन यह भी आगे बढ़ गई है। इसके चुनावों के कारण अब दिसंबर में ही होने की संभावना है। इस कारण इनकी नियुक्ति का फैसला भी अब बाद में ही होगा। यूनिवर्सिटी में स्थाई हुए कर्मचारियों के वेतन-भत्तों का भार शासन पर नहीं आता है और इसकी व्यवस्था यूनिवर्सिटी खुद अपने आय स्रोतों से करती है। शासन केवल इनके वेतन-भत्तों की जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी पर डालते हुए इन्हें स्थाई करने की परमिशन देती है। इस बैठक से इन कर्मचारियों को कुछ आस थी।
190 से ज्यादा कर्मचारी, 85 पुराने
वर्तमान में 190 से ज्यादा तृतीय श्रेणी कर्मचारी यूनिवर्सिटी में कार्यरत है। इसमें से कई तो 25 साल से ज्यादा से कार्यरत हैं। यूनिवर्सिटी पिछले सालों में 2007 तक कार्यरत कई कर्मचारियों को स्थाईकर्मी का दर्जा तो दे चुकी है लेकिन इन्हें नियमित नहीं किया गया है, जबकि भोपाल में उच्च शिक्षा विभाग की बैठक में तृतीय और चतुर्थ दोनों प्रकार के कर्मचारियों को स्थाई करने का प्रस्ताव किया गया था। अप्रैल में भोपाल से आए आदेश का हवाला देते हुए यूनिवर्सिटी अपने 82 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को स्थाई किया है। 29 सितंबर 2022 को भोपाल में बैठक के बिंदु क्रमांक चार में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को स्थाई करने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया था। वर्तमान में यूनिवर्सिटी ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को तो स्थाई कर दिया लेकिन तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को छोड़ दिया है। वर्तमान में यूनिवर्सिटी के करीब 85 कर्मचारी ऐसे है जो 2007 के पहले से कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों को शासन की स्कीम की अंतर्गत स्थाईकर्मी का दर्जा दिया जा चुका है यानी इनका पूरी वेरिफिकेशन व पदनाम दिया जा चुका है। इसमें 24 कुशल और 61 अर्द्धकुशल कर्मचारी कार्यरत है। इन कर्मचारियों को स्थाई कर्मचारियों के पदों के विरुद्ध स्थाई करने में कोई समस्या नहीं है।