सौदा पत्रक की आड़ में जीएसटी को चपत लगा रहे व्यापारी, किसानों के साथ ठगी का अंदेशा

स्वतंत्र समय, सारंगपुर

कभी ए ग्रेड में शामिल रही कृषि उपज मंडी पचोर अब व्यापारियों की चालाकी कि भेंट चढ़ रही है। यहां अब सौदा पत्रक कि आड़ में जीएसटी कि चपत के साथ मंडी टेक्स की चोरी का अंदेशा व्यापारियों के एक धड़े को है। मामले की शिकायत अब एसडीएम से की गयी है। दरअसल, कुछ व्यापारी अपने आर्थिक हितों के चलते मंडी की साख को बट्टा लगा रहे है। मंडी व्यापार अधिनियम के अनुसार मंडी में क्रय किए गए माल की मंडी में ही तुलाई होती है तथा मंडी में ही किसान को पेमेंट किया जाता है।  और कोई व्यापारी अगर सौदा पत्रक का लाइसेंस बनवा भी लेता है तो उसका नियम यह है कि मंडी प्रांगण से बाहर किसान और व्यापारी की आपसी रजामंदी पर किया गया सौदा, सौदा पत्रक के अनुसार अपने निजी गोदाम पर उसका माल तुलवा सकता है। कमल सक्सेना ने आरोप लगाया की फर्म श्रीकृष्णा फ्लोर एंड फूड इंडस्टरीज के प्रोपराइटर व्यापारी ने अपने निजी गोदाम पर ही बड़ा तोल कांटा लगवा रखा है तथा प्रतिदिन मंडी प्रांगण से सैकड़ो क्विंटल सोयाबीन तथा गेहूं की उपज खरीद कर अपने निजी गोदाम पर तौल रहे हैं तथा वहीं पर किसानों का पेमेंट कर रहे हैं। जो नियम संगत नहीं है तथा खुले आम मंडी अधिनियम का उल्लंघन है। उक्त फर्म पर निजी बड़े कांटे पर माल तुलवाकर आए किसानों से चर्चा की गई तो उनका कहना था हम मंडी के कांटे पर भी पहले माल तुलवाकर आते हैंपूर्व मंडी सचिव केएस खनूजा ने भी इस विषय पर आपत्ति ली थी तो उनको एक झूठे केस में फंसा कर उनकी विदाई कर दी गयी।

इसलिए भी यहां के कर्मचारी और मंडी प्रशासन उक्त व्यापारी से दबा हुआ है।  राजनीतिक रूप से अपने अस्तित्व की अंतिम सांसे गिन रहे उक्त व्यापारी अपने पिछले 30 साल पुराने राजनीतिक रसूख का हवाला दिया। देकर तथा फोटो दिखाकर अपने व्यापार में अनेक अनियममिता बरत रहे हैं।मंडी सचिव एलएन भिलाला ने पहले तो सौदा पत्रक लाइसेंस का हवाला देकर उक्त व्यापार को वैध बताया लेकिन जब उनसे पूछा गया कि सौदा पत्रक के आधार पर आप मंडी प्रांगण से कैसे खरीदी कर अपने निजी गोदाम पर तुलाई करवा सकते हैं तो मंडी सचिव ने अपनी भूल का एहसास करते हुए कहा कि हां यह गलत है मंडी प्रांगण से कोई भी व्यापारी खरीदी कर मंडी के बाहर अपने निजी गोदाम पर तुलाई नहीं करवा सकता है। विधायक प्रतिनिधि कमल सक्सेना ने मामले की शिकायत एसडीएम और तहसीलदार से कर जांच करने का आग्रह किया है।

इस तरह लगा रहे जीएसटी की चपत

एक चौंकाने वाला खुलासा अन्य व्यापारियों ने किया है कि एक ई इनवॉइस बिल बनाया जाता है जो कि 24 घंटे तक वैलिड रहता है और इस एक बिल के सहारे तीन गाड़ी सोयाबीन प्लांट में भेज दी जाती है। तथा एक ही बिल का  टैक्स देना पड़ता है तथा दो गाड़ी की कीमत जो कि लगभग 16 लाख होती है उसका 5त्न टैक्स जो कि 80000 बनता है उसको चपत कर अपनी तिजोरी में रख लिया जाता है।

मामले में एसडीएम संजय उपाध्याय ने कहा की आज हम अवैध शराब के खिलाफ बड़ी कार्रवाई में व्यस्त है शुक्रवार को दिखाएंगे।

एसडीएम, संजय उपाध्याय

मंडी व्यापारी एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष महेश गोयल ने बताया की नियमों के विपरीत काम होने से कई भले और इमानदार व्यापारी मंडी का व्यापार छोड़ चुके हैं अगर यही हाल रहा तो बचे खुचे व्यापारी भी व्यापार छोड़ देंगे तथा मंडी का नुकसान होगा जो कहीं ना कहीं नगर की उन्नति में बाधक बनेगा।

महेश गोयल, जिलाध्यक्ष मंडी व्यापारी एसोसिएशन