नागेंद्र तिवारी, सतना
सतना जिले के पुराने राजनैतिक इतिहास की बात करें तो पूर्व सांसद रामानंद सिंह सांसद रहते हुए 2003 में चित्रकूट विधानसभा से विधानसभा का चुनाव भाजपा से लड़े थे। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था और जिसके बाद से रामानंद सिंह का राजनैतिक कैरियर खत्म हो गया था। तो वहीं रैगांव विधानसभा से स्वर्गीय जुगुल किशोर बागरी भी भाजपा से विधायक रहते हुए मंडी का चुनाव लडें थे, जिन्हें इस चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा था। कुछ इसी तरह की स्थिति इस बार सतना सांसद गणेश सिंह की है। सांसद गणेश सिंह को भी सांसद रहते हुए विधानसभा सीट सतना से चुनाव मैंदान में उतारा गया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सांसद गणेश सिंह पुराने इतिहास को दुहरायेगें या फिर एक नया इतिहास लिखेगें। खैर जो भी लेकिन सतना संासद गणेश सिंह के सतना सीट से मैदान में उतरने के बाद आम जनता कई तरह के कयास लगा रही हैं। राजनैतिक गलियारे से मिली जानकारी के मुताबिक गणेश सिंह के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है क्यों कि अगर इस चुनाव में हार मिली तो सांसद के राजनैतिक भविष्य में भी संकट के बादल मंडराने लगेंगें।
सांसद के चेहरे में साफ झलक रही चिंता
जिस दिन से सांसद सतना को सतना विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। लगातार देखने में आया है कि सांसद के चेहरे में साफ तौर पर ङ्क्षचता झलक रही हैं। लगातार सांसद द्वारा सतना विधानसभा में जनसंपर्क किया जा रहा है। लेकिन चेहरे की रौंनक नहीं दिख रही है। आखिर इसकी वजह क्या हो सकती है। राजनैतिक जानकारों की मानें तो सांसद को अपनी ही पार्टी से बागी हुए लोगों का भय सताने लगा है। क्यों सांसद को टिकट मिलने के बाद लगाातार पार्टी के अंदर कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दो दिन पूर्व भाजपा से बसपा की सदस्यवता लेकर चुनाव मैदान में उतरने वाले रत्नाकर चतुर्वेदी शिवा ने जमकर सांसद पर निशाना साधा था। तो वहीं भाजपा के अन्य जनप्रतिनिधि भी सांसद के विरोध पर उतर आये हैं। अगर माना जाये तो यह सब घटनाक्रम सतना सांसद के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं।