स्वतंत्र समय, इंदौर
- थोक में ही 40 रुपए की ओर पहुंचा प्याज
- त्योहारी और शादी के सीजन में महंगा प्याज लाएगा आंसू
- केंद्र की एक्सपोर्ट ड्यूटी से किसानों की कमर टूटी
तीन साल से पटरी पर रहे प्याज के दाम दक्षिण भारत की फसलों को मौसम की मार की वजह से बेकाबू होने का मौका मिल गया है। ऐसे में महाराष्ट्र के किसान उत्पादकों ने मौका देखकर अपने भाव ऊंचे कर दिए हैं। इसका असर गुरुवार को इंदौर मंडी में नजर आने लगा और बेस्ट क्वालिटी का प्याज थोक भाव में ही 35-40 रुपए प्रतिकिलो हो गया है। इससे आगे त्योहारी व शादी के सीजन में प्याज की चाल का अंदाज लगाना आसान है। अब ठेलों से प्याज नदारद होने लगा है और 10 से 15 रुपए प्रतिकिलो मिलने की आवाजें और स्पीकरों ने विराम ले लिया है। ऐसे में आने वाले समय में प्याज कुलांचे भर सकता है। करीब महीना भर से यूं भी सब्जियों के भाव में आग लगी हुई है। तिस पर प्याज संकट लोगों को आंसू ला देगा।
कर्नाटक और केरल पर पड़ी मार, 60 फीसदी फसलें बर्बाद
कर्नाटक इस समय गंभीर सूखे की चपेट में हैं जिनमें चित्रदुर्ग, चिक्कबल्लापुरा, गडग, विजयपुरा और अन्य हिस्से शामिल हैं। इससे प्याज की खेती वाले क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ है। इसका असर बाजार में दिखाई देने लगा है। जानकारों के अनुसार राज्य में प्याज की नई फसल की कुल पैदावार सिर्फ 40 फीसदी थी और इसका 25 फीसदी बाजार में बिक चुका है। राज्य में उगाई जाने वाली प्याज की फसल के अलावा, पूरा प्याज बाजार नासिक और महाराष्ट्र के अन्य प्याज उत्पादक क्षेत्रों पर निर्भर करता है. पिछले 15 दिनों से शिवमोगा थोक बाजार में प्रति किलो प्याज की कीमत लगभग 25 से 30 रुपए थी, जबकि खुदरा बाजार में यह 30 से 35 रुप्रए प्रति किलो थी। फिलहाल शिवमोगा के थोक बाजार में कीमत 32 से 35 रुपये प्रति किलो हो गई है।
एक्सपोर्ट ड्यूटी ने बिगाड़ा गणित प्रति क्विंटल इतना नुकसान
केंद्र सरकार द्वारा प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने और दो एजेंसियों द्वारा बाजार भाव से कम दाम पर प्याज बेचने की वजह से किसानों की जेब पर बुरा असर पड़ रहा है. किसानों को प्रति क्विंटल कम से कम 1000 से 1500 रुपए का नुकसान हो रहा है। महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि किसानों को जान बूझकर आर्थिक नुकसान पहुंचाना ठीक नहीं है क्योंकि अगर उन्होंने खेती बंद कर दी तो दूसरे से इसे आयात करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
इधर, टमाटर थोक में 15 रु. किलो
करीब 200 रुपए किलो की दौड़ लगाकर पिछले दिनों किसी तरह सस्ता हुआ टमाटर फिर सुर्खियों की ओर जा सकता है। प्याज का सपोर्ट प्राइस टमाटर को भी कुछ हद तक मिल सकता है। इस कारण मंडी में अब थोक में ही टमाटर 15 रुपए किलो हो गया है। पिछले कई दिनों से यह 10 रुपए किलो खेरची में उपलब्ध था।
दक्षिण में मौसम की चोट को यूं समझें
- कर्नाटक के मलनाड़ इलाके जिसमें कोडागु, चिकमंगलुरू, मैसूर और हसन जिले शामिल हैं वहां बारिश में 44 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
- कर्नाटक के धारवाड़ा, गडग और हावेरी जिलों की 16 तहसील को राज्य सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित किया है।
- सूखे के कारण कर्नाटक में करीब 50 फीसदी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।
- केरल में भी औसत से 34 फीसदी कम बारिश हुई है।
- इसके साथ ही पश्चिम बंगाल और केरल का चावल उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।
सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र के ये हाल
देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में कई दिनों से किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल रहा था। हालांकि अगस्त तक आते-आते स्थिति बदल गई। सरकार ने एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी और नफेड, एनसीसीएफ से सस्ता प्याज बिकवाना शुरू कर दिया जिससे यहां भाव गिर गए। यहां किसान बोल रहे हैं कि खेती अच्छी हो या खराब, अगर दाम बढऩे की उम्मीद होगी तो सरकार उसे कंट्रोल कर लेगी। वो दाम नहीं बढऩे देगी, हम किसान प्रकृति से ज्यादा सरकार के रवैये से परेशान हैं। ऐसे में दक्षिण का मौसमीय चक्र गड़बड़ाने से महाराष्ट्र ने भाव बढ़ाने की शुरुआत कर दी है। इसमें अब मुनाफाखोरी भी तय है।
नासिक में बेमौसम बारिश ने बढ़ाई थी परेशानी
इस साल अप्रैल में नासिक बेल्ट में हुई बेमौसम बारिश ने प्याज की फसल को नुकसान पहुंचाया था। उस समय जानकारों ने माना था कि इसका असर अगस्त से अक्टूबर के बीच नजर आ जाएगा। अब दक्षिण की फसल भी प्रभावित हुई है, ऐसे में नासिक के प्याज के भाव भी तेज हो रहे हैं।