स्वतंत्र समय, सतना
पब्लिक है भाई सब जानती है। इसलिए चौंकाने वाले आते हैं परिणाम। कयासों का दौर जारी । अब मतदाता की बारी। प्रत्याशी चयन की स्थिति साफ होने लगी है लगभग सतना जिले की सभी विधानसभा सीटों की प्रत्याशियों की सूची दोनों दलों ने जारी कर दी है इसमें कांग्रेस और भाजपा ने चौंकाने वाले प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है मजे की बात यह है कि चुनावी गंगा में सबसे बड़ा लाभ दो दल उठाते हैं बीएसपी और समाजवादी पार्टी सिर्फ पैसा वसूली करती हैं जीतो या हारो टिकट चाहिए तो रकम ढीलो हालांकि यह दोनों दल सिर्फ वोट काटते हैं यह बात अलग है कि प्रदेश स्तर पर एक दो विधानसभा में सफल भी होते हैं वह भी स्थानीय प्रत्याशी की बदौलत ना कि सिंबल के वोटो से । हालांकि, झाड़ू भी ताकत आजमा रहा है लेकिन मध्य प्रदेश में आप पार्टी का कोई अस्तित्व समझ में नहीं आ रहा अब हम बात कर रहे हैं सतना जिले की सात विधानसभा सीटों का जहां चुनावी मैदान सज चुका है अब बारी है मतदाता की।
मुझे अपनों ने मारा गैरों में क्या दम था
यह कहावत या गीत सतना जिले की सतना विधानसभा सीट में लागू हो सकता है मुझे अपनों ने मारा गैरों में क्या दम था जहां किश्ती डूबी वहां पानी बहुत कम था हम बात कर रहे हैं सतना विधानसभा क्षेत्र की जहां से भाजपा उम्मीदवार चार बार के सांसद रह चुके गणेश सिंह को मैदान में उतर गया है लेकिन भाजपा के ही असंतुष्ट लोग गणेश सिंह पर भारी पड़ रहे हैं राजनीतिक गलियारों से आ रही चर्चा के अनुसार सांसद रहते हुए गणेश सिंह ने जिले भर में अपना प्रभाव छोड़ रखा है जातीय राजनीति का हर समय आरोप लगता रहा इसके अलावा स्थानीय चुनाव पर भी अपनी इच्छा अनुसार परिणाम पर खेल करते रहे इसलिए भाजपाई ही गणेश सिंह के विजय रथ को रोकने में दम लगाएंगे जबकि कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू का भी विरोध चरम पर है हालांकि सतना विधानसभा का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर है लेकिन प्रबल संभावना किसी एक दल पर नहीं की जा सकती है।
तो क्या हाथी पर सवार हो सकते हैं ब्राह्मण
जिले की सातों विधानसभा सीटों पर दोनों दलों ने प्रत्याशी उतार दिए हालांकि भाजपा ने रैगांव व अमरपाटन सीट को फिलहाल होल्ड रखा है रैगांव विधानसभा सुरक्षित सीट है यहां से किसी एक एस सी को ही मिलेगी लेकिन अमरपाटन विधानसभा में अगर मंत्री जी को ही टिकट मिल जाती है तो जिले में भाजपा पर ब्राह्मण की अनदेखी का आरोप लगा सकता है । क्योंकि मैहर जिला को छोड़ दिया जाए तो सतना जिले की पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा ने एक भी ब्राह्मण प्रत्याशी को मौका नहीं दिया ऐसे में सतना विधानसभा में बसपा से रत्नाकर चतुर्वेदी एक ब्राह्मण प्रत्याशी होंगे कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर ब्राह्मण ने अपनी उपेक्षा मान ली तो हाथी पर सवार हो सकते हैं ।
अब इसे इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि भाजपा के शासनकाल में रत्नाकर चतुर्वेदी के सगे परिवारजनों को ब्राह्मण बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त है ऐसी भी चर्चा है कि रत्नाकर को साधने के लिए आनन फानन यह पद दिया गया था लेकिन संभव नहीं हो सका रत्नाकर चतुर्वेदी के पिता भी बहुजन की सभा में शामिल होने लगे हैं आने वाले समय में अगर रत्नाकर ब्राह्मण वोटरों को साध लेंगे तो कांग्रेस व भाजपा पर भारी पड़ सकते हैं क्योंकि सतना विधानसभा के दो कद्दावर ब्राह्मण नेता भाजपा से शंकर लाल तिवारी पूर्व विधायक व कांग्रेस से मनीष तिवारी अपनी अपनी पार्टी से खाशा नाराज है इसका भी फायदा रत्नाकर चतुर्वेदी को मिल सकता है।