स्वतंत्र समय, भोपाल
मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर लगातार रोज नए समीकरण बन रहे हैं। चुनावी सरगर्मियों के बीच नेताओं के दल बदलने का दौर शुरु है, जिसके चलते राजनीतिक उथल पुथल मची हुई है। हाल ही में रीवा के कद्दावर नेता और व्हाइट टाइगर पंडित श्रीनिवास तिवारी के पोते और कांग्रेस विधायक स्व. सुंदर लाल तिवारी के बेटे सिद्धार्थ तिवारी ने कांग्रेस का हाथ छोडक़र भाजपा का दामन थामा था। अब सिद्धार्थ तिवारी के भाजपा में शामिल होते ही रीवा के साथ ही विंध्य अंचल की राजनीति में स्थानीय स्तर पर समीकरण बदल सकते हैं। इससे कांग्रेस की मुश्किलें काफी बढ गई हैं। फिलहाल कांग्रेस कार्यकर्ता अब सिद्धार्थ तिवारी के समर्थन में उतरे हैं और कांग्रेस छोडऩे का मन बना रहे हैं।
पार्षद समेत अनेक कांग्रेसी ले सकते हैं भाजपा की सदस्यता
कांग्रेस नेता सिद्धार्थ तिवारी के भाजपा में जाते ही कांग्रेस की मुश्किलें और भी बढ़ गई, इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलता दिखाई दे रहा है। सिद्धार्थ तिवारी के भाजपा में शमिल होने से ठीक बाद तिवारी के समर्थक और वार्ड क्रमांक 26 के वर्तमान कांग्रेस पार्षद स्वतंत्र शर्मा ने पार्टी को अपना त्याग पत्र सौंप दिया था, जिसके बाद एक कर कई कांग्रेसी नेताओं ने स्तीफों की झड़ी लगा दी है।
टिकट न मिलने पर छोड़ी विचारधारा
विंध्य अंचल में स्व. पंडित श्रीनिवास तिवारी की विंध्य ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में अपनी अलग पहचान थी, वह व्हाइट टाइगर के नाम से मशहूर थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेई समेत पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी भी श्रीनिवास तिवारी की राजनीति से काफी प्रभावित थीं, ठीक इसी तरह श्रीनिवास तिवारी के पुत्र स्व. सुंदर लाल तिवारी भी एक कट्टर कांग्रेसी नेता थे, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट बंटवारे ने कांग्रेस का बना बनाया समीकरण बिगाड़ कर रख दिया और सिद्धार्थ तिवारी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल
हो गए।